आँखे बंद करके
सोचा जब तुझे ,
छोटे - छोटे,नर्म -मुलायम ,
हाथों को ,
फूलों की पंखुड़ी से
कोमल मुखड़े को
अपने बहुत करीब पाया ...
सोचती हूँ
कितना अद्भुत होता
जो तुम मेरी बाँहों में झूलती,
जो तुम मेरी बाँहों में झूलती,
कभी ओझल न करती
अपनी नज़रों से ,
तुम्हारी भोली मुस्कान-
पर दुनिया ही वार देती मैं ...
पहनाती तुझे
पैरो में नन्ही -नन्ही पायल ,
महसूस करती ,
पैरो में नन्ही -नन्ही पायल ,
महसूस करती ,
घुंघरू के रुनझुन को अंतर्मन में
.
किस्मत वाले ही
होते वे जिनके घर होती हैं बेटियां
होते वे जिनके घर होती हैं बेटियां
मुझे तुझ बिन दुनिया ही
बे-रंग लगती है ,
क्यूंकि संसार के सारे ही रंग बेटियों
क्यूंकि संसार के सारे ही रंग बेटियों
से ही होते है ...
खूबशूरत अहशास ,बेटियां यादों में रची बसी होती ही है ,
ReplyDeleteकिस्मत वालो के घर बेटियाँ होती है ,,
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
संसार के सारे रंग ही बेटियों से होते हैं ..... सच
ReplyDeleteभावमय करते शब्द
संसार के सारे रंग ही बेटियों से होते हैं.........सही है
ReplyDeletelatest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अनुभूति : विविधा -2
बेटियां भगवान का सबसे बड़ा वरदान हैं...बहुत सुन्दर और सटीक रचना...
ReplyDeleteumda rachna di...
ReplyDeleteजब मैने आँखे खोली
तेरी गोद मे खुद को पाया हैं..
माँ तू तो मेरा साया हैं...
धन्य हुई मैं तुझको पाकर
मेरा रोम रोम हरषाया हैं....
माँ जब भी तूने मुझे गले से लगाया हैं..
(अपनी प्यारी बेटी के लिए)
बहुत प्यारी रचना.... बेटी से तो हर रंग है .
ReplyDeletesundar ahshas
ReplyDeleteसचमुच बेटी नहीं तो घर में है क्या?
ReplyDeleteआपकी यह रचना कल शनिवार (01 -05-2013) को ब्लॉग प्रसारण पर लिंक की गई है कृपया पधारें.
ReplyDeleteबेटियां जीवन होती हैं, घर की परिभाषा बेटियां ही लिखती हैं,वाकई बेटी बिना जग सूना है
ReplyDeleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति और रचना
सादर
आग्रह है पढें
तपती गरमी जेठ मास में---
http://jyoti-khare.blogspot.in
बेटियों के बिना घर आधा है अधूरा है ...........सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर बिटिया जैसी प्यारी प्रस्तुति ...
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