भोर होते ही ,
जैसे चल पड़ती है
जिन्दगी
अपनी रफ़्तार पर ,
एक नयी आशा लिए
इस आशा रूपी सागर पर ...
एक बूढी माँ को इंतज़ार
है अपने लाल का जो
सिर्फ पैसे के साथ सांत्वना ही
भेजता है ,
अगले त्यौहार पर आने की ...
एक ललना को इंतजार है ,
अपने सुहाग का जो दूर
परदेश गया है कमाने ...
एक बहन को इंतज़ार है ,
अपने भाई का जो उससे
रूठा है ,
इंतज़ार है उसे मायके की दहलीज़
से पुकार का ...
हर किसी की
अपनी -अपनी आशाएं है
इंतज़ार है ,
हर सुबह जो ले कर आती है ...
ये जिन्दगी की नाव तो रफ़्तार से
चलती ही रहती है ,
पर इसकी पतवार थामे हुए तो
वह ऊपर वाला ही है ,
जो हर किसी की आशा
पूरी करता है .. .
जैसे चल पड़ती है
जिन्दगी
अपनी रफ़्तार पर ,
एक नयी आशा लिए
इस आशा रूपी सागर पर ...
एक बूढी माँ को इंतज़ार
है अपने लाल का जो
सिर्फ पैसे के साथ सांत्वना ही
भेजता है ,
अगले त्यौहार पर आने की ...
एक ललना को इंतजार है ,
अपने सुहाग का जो दूर
परदेश गया है कमाने ...
एक बहन को इंतज़ार है ,
अपने भाई का जो उससे
रूठा है ,
इंतज़ार है उसे मायके की दहलीज़
से पुकार का ...
हर किसी की
अपनी -अपनी आशाएं है
इंतज़ार है ,
हर सुबह जो ले कर आती है ...
ये जिन्दगी की नाव तो रफ़्तार से
चलती ही रहती है ,
पर इसकी पतवार थामे हुए तो
वह ऊपर वाला ही है ,
जो हर किसी की आशा
पूरी करता है .. .
चित्र गूगल से साभार
जो हर किसी की आशा पूरी करता है .......... बिल्कुल सच
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
Deleteसादर...!
bilkul sach....sundar rachna
ReplyDeleteबिल्कुल सच कहा ..बहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteइंतज़ार और आशाएं तो बनी ही रहती हैं
ReplyDeleteसुन्दर रचना
आशा की डोर थामे हर जीव चलता है
ReplyDeleteसच कहा आपने
आशा तो जीवन जीने की सीढ़ी है जिस पर चढ़कर जीना आसान हो जाता है...
ReplyDeleteबहुत सुंदर .बेह्तरीन शुभकामनायें.अभिव्यक्ति ...!!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना की प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,
ReplyDeleteRECENT POST : बेटियाँ,