Monday, 27 May 2013

हर किसी की अपनी -अपनी आशाएं है ......

भोर होते ही ,
जैसे चल पड़ती है 
जिन्दगी 
अपनी रफ़्तार पर ,
एक नयी आशा लिए 
इस आशा रूपी सागर पर ...

एक बूढी माँ को इंतज़ार
है अपने लाल का जो
सिर्फ पैसे के साथ सांत्वना ही
भेजता है ,
अगले त्यौहार पर आने की ...

एक ललना को इंतजार है ,
अपने सुहाग का जो दूर
परदेश गया है कमाने ...

एक बहन को इंतज़ार है ,
अपने भाई का जो उससे
रूठा है ,
इंतज़ार है उसे मायके की दहलीज़
से पुकार का ...

हर किसी की
अपनी -अपनी आशाएं है
इंतज़ार है ,
हर सुबह जो ले कर आती है ...

ये जिन्दगी की नाव तो रफ़्तार से
चलती ही रहती है ,
पर इसकी पतवार थामे हुए तो
वह ऊपर वाला ही है ,
जो हर किसी की आशा
पूरी करता है ..
.

चित्र गूगल से साभार 

10 comments:

  1. जो हर किसी की आशा पूरी करता है .......... बिल्‍कुल सच

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    1. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (29-05-2013) के सभी के अपने अपने रंग रूमानियत के संग ......! चर्चा मंच अंक-1259 पर भी होगी!
      सादर...!

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  2. बिल्कुल सच कहा ..बहुत सुन्दर रचना

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  3. इंतज़ार और आशाएं तो बनी ही रहती हैं

    सुन्दर रचना

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  4. आशा की डोर थामे हर जीव चलता है
    सच कहा आपने

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  5. आशा तो जीवन जीने की सीढ़ी है जिस पर चढ़कर जीना आसान हो जाता है...

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  6. बहुत सुंदर .बेह्तरीन शुभकामनायें.अभिव्यक्ति ...!!

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  7. बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना की प्रस्तुति.

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  8. बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

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