चुप सी चल रही थी
जिन्दगी ,
एक ठहरी हुयी सी
नाव की तरह ...
ना सुबह के होने की
थी कोई
उमंग ही ,
ना ही शाम होने की
ललक ही ,
दिन चल रहे थे
और रातें रुकी हुई थी ..
सहसा ये क्या हुआ ,
मेरे मन में ये कैसी
हिलोर उठी ,
शांत लहरों पर रुकी हुई
नाव की पतवार किसने
थाम ली ...!
क्या यह तुम्हारे आने
का इशारा है ....!
बहुत अच्छा उपासना जी ,लिखते रहें ,आगे बढ़ते रहें
ReplyDeleteये हलचल कहीं ये वो तो नहीं
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति
भावपूर्ण सुंदर रचना
ReplyDeleteबधाई
आग्रह है पढ़े "अम्मा"
http://jyoti-khare.blogspot.in
बहुत सुन्दर ,भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteपर ,
ReplyDeleteआचनक .............थाम ली ....! सुन्दर पंक्तियाँ
सुन्दर ,भावपूर्ण पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteआने से पहले आ जाती है उनके क़दमों की आहट ...
ReplyDeleteउम्दा रचना ...
बहुत खुबसूरत भाव..
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लगी यह भावपूर्ण रचना |
ReplyDeleteआशा
बहुत सुंदर भावपूर्ण!
ReplyDeletelatest post हे ! भारत के मातायों
latest postअनुभूति : क्षणिकाएं
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भावमयी रचना...
ReplyDeleteटिप्पणियाँ स्पैम में जा रही हैं आपके ...
ReplyDeleteस्पैम बोक्स चेक करें ... मेरी टिप्पणी नज़र नहीं आई आज देखा तो ...