Monday, 13 May 2013

चुप सी चल रही थी जिन्दगी ......


चुप सी चल रही थी
जिन्दगी ,
एक ठहरी हुयी सी
नाव की तरह ...
ना सुबह के होने की
थी कोई
उमंग ही ,
 ना ही शाम होने की
ललक ही ,
दिन  चल रहे थे
और रातें  रुकी हुई थी ..

सहसा  ये क्या हुआ ,
मेरे मन में ये कैसी
हिलोर उठी ,
शांत लहरों पर रुकी हुई
नाव की पतवार किसने
थाम ली ...!
क्या यह तुम्हारे आने
का इशारा है ....!


14 comments:

  1. बहुत अच्छा उपासना जी ,लिखते रहें ,आगे बढ़ते रहें

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  2. ये हलचल कहीं ये वो तो नहीं
    बहुत सुन्दर भावमय प्रस्तुति

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  3. भावपूर्ण सुंदर रचना
    बधाई
    आग्रह है पढ़े "अम्मा"
    http://jyoti-khare.blogspot.in

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  4. बहुत सुन्दर ,भावपूर्ण रचना

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  5. पर ,
    आचनक .............थाम ली ....! सुन्दर पंक्तियाँ

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  6. सुन्दर ,भावपूर्ण पंक्तियाँ

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  7. बहुत ही बेहतरीन भावपूर्ण रचना.

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  8. आने से पहले आ जाती है उनके क़दमों की आहट ...
    उम्दा रचना ...

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  9. बहुत खुबसूरत भाव..

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  10. बहुत बढ़िया लगी यह भावपूर्ण रचना |
    आशा

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  11. सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति

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  12. बहुत सुन्दर भावमयी रचना...

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  13. टिप्पणियाँ स्पैम में जा रही हैं आपके ...
    स्पैम बोक्स चेक करें ... मेरी टिप्पणी नज़र नहीं आई आज देखा तो ...

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