Sunday 29 November 2015

चलो तुम ही मन्नत की दुआ मांगो..

तुम ने मन्नत मांगी है
दूर जाने की मुझ से,
भूल जाने की मुझे।

एक मन्नत मेरी भी है
याद में ,
दिल में सदा
पास रखने की तुमको।

मन्नतें सदा
सच्ची ही होती हैं
क्यूंकि
मांगी जाती है दिल से।

मुश्किल में होगा
मन्नत पूरी करने वाला भी,
किसकी सुने और
न भी क्यों ना सुने।

चलो तुम ही
मन्नत की दुआ मांगो।
मेरी तो बिन मांगे ही
पूरी होती है मन्नतें।








Saturday 21 November 2015

ਕਿਵੇਂ ਬਣ ਦੀ ਕਹਾਣੀ ਤੇਰੀ ਤੇ ਮੇਰੀ !

ਨਿੱਕੀ - ਨਿੱਕੀ ਗੱਲਾਂ
ਤੇਰੀਆਂ ਤੇ
ਕੁਜ਼ ਮੇਰੀਆਂ ਵੀ।

ਇਹੋ ਨਿੱਕੀ ਗੱਲਾਂ
ਬਣ ਜਾਣੀ ਸੀ
ਕਹਾਣੀਆਂ।

ਕਿਵੇਂ ਬਣ ਦੀ
ਕਹਾਣੀ ਤੇਰੀ ਤੇ ਮੇਰੀ !

ਤੂ ਹੋਰ ਦਿਸ਼ਾ
ਵੱਲ ਚਲ ਪਿਆ ਤੇ
ਮੈਂ ਵੀ
ਮੁੜ ਗਈ ਸੀ
ਹੋਰ ਦਿਸ਼ਾ ਵੱਲੋਂ।


ਫੇਰ ਵੀ ਜਿੰਦਗੀ
ਮੇਰੇ ਲਈ
ਹੋਰ ਕੁਜ਼ ਵੀ ਨਹੀਂ,
ਬਸ ਤੇਰੀ- ਮੇਰੀ ਹੀ
ਕਹਾਣੀ ਹੈ।





Monday 16 November 2015

चालीस पार की औरतें

चालीस पार की औरतें
जैसे हो
दीमक लगी दीवारें !
चमकदार सा
बाहरी आवरण,
खोखली होती
भीतर से
परत -दर -परत।

जैसे हो
कोई विशाल वृक्ष,
नीड़ बनाते हैं पंछी जिस पर
बनती है
आसरा और सहारा
असंख्य लताओं का
लेकिन
गिर जाये कब चरमरा कर
लगा हो  घुन  जड़ों में।


 जीवन में
 क्या पाया
या
खोया अधिक !
सोचती,
विश्लेषण करती।

बाबुल के घर से
अधिक हो गई
पिया के घर की,
तलाशती है जड़ें
फिर भी,
चालीस पार की औरतें ! 

Tuesday 10 November 2015

तुम दीप बन जाना...


अँधेरा मेरे
मन का,
अमावस सा।

ना कर  सको
 अगर
चाँद सा उजाला। 
तुम,
दीप बन जाना।

बन कर
दीप
रोशन करना
मेरी आस का पथ।