Sunday 27 January 2013

यह पत्थर- पाषाण सी दुनिया........


यह पत्थर- पाषाण सी
दुनिया
पत्थर की दीवारें-मकान
यहाँ लोग क्यूँ -कर ना हो
पत्थर -दिल ....

कौन है मेरा
यहाँ  किसे कहूँ मैं अपना

लहूलुहान हृदय  मेरा
टकरा-टकरा इन पत्थरों से ...
रोता है
टकराता है
चूर - चूर  नहीं होता
ना जाने क्यूँ .....

टकराकर पत्थरों -पाषाण हृदयों से
सबल-मज़बूत होता जाता
मेरा हृदय
मजबूर नहीं होता
न जाने क्यूँ .......

जानता है हृदय मेरा
तराशे जाएँगे ये पत्थर-पाषाण हृदय
एक दिन
एक मूरत में .....

नहीं होता
मूरत का हृदय , पाषाण सा
एक सोता बहता वहां भी
प्रेम का .........





Friday 25 January 2013

सरहद पर जब भी ........

सरहद पर जब भी 
युद्ध का बिगुल बजता है 
मेरे हाथ प्रार्थना के लिए 
जुड़ जाते हैं 
दुआ के लिए भी उठ जाते हैं 
सीने पर क्रोस भी बनाने
लग जाती हूँ ......

मेरे मन में बस होती है
एक ही बात
सलामत रहे मेरा अपना
जो सरहद पर गया है ,
लौट आये वह फिर से
यही दुआ होती है मेरे मन में ....
मैं कौन हूँ उसकी ...!
कोई भी हो सकती हूँ
एक माँ
बहन ,पत्नी
या बेटी
'उसकी' जो सरहद पर गया है ......
इससे भी क्या फर्क पड़ता है
मैं कहाँ रहती हूँ
सरहद के इस पार हूँ या
उस पार ......
दर्द तो एक जैसा ही है मेरा
भावना भी एक जैसी ही है .......
हूँ तो एक औरत ही न ...!

Monday 21 January 2013

ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ( मेरी पुकार )


ਮੈਂ ਤੇੰਨੁ ਪੁਕਾਰਦੀ ਰਵਾਂਗੀ ........
 ਪਰ ਕਦੋਂ ਤਕ ...!
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਦਾ
ਤੂੰ ਜਵਾਬ ਨਹੀ ਦਿੰਦਾ
ਜਦੋਂ ਤਕ...!

 ਇਹ ਮੇੰਨੁ ਪਤਾ ਹੈ ,
ਮੈਂ ਜਾਣਦੀ  ਵੀ ਹਾਂ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਤੂ ਸੁਣਦਾ ਹੈ
ਇਹ ਦੀਵਾਰਾਂ ਤਕ ਹੀ
ਨਹੀ ਟਕਰਾਉਂਦੀ ,
ਤੇਰੇ ਦਿਲ ਦੀ ਦੀਵਾਰਾਂ
ਨੂੰ ਵੀ ਚੀਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ .........

ਮੈਨੂ ਇਹ ਗਲ ਵੀ ਪਤਾ ਹੈ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ
ਤੂ ਅਣਸੁਣੀ ਵੀ ਨਹੀ ਕਰਦਾ
ਤੂ ਵੀ ਮੈਨੂ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਮੈਨੂੰ ਹੀ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ ..........

ਇਹ  ਪੁਕਾਰ ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਮੈਨੂ
ਰਾਤ ਦੇ ਸੁਨਸਾਨ ਅੰਧੇਰਿਯਾਂ  ਚ
ਤੇਰੀ ਇਹ ਪੁਕਾਰ ਮੈਨੂੰ
ਸੋਣ ਨਹੀ ਦਿੰਦੀ
ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਅਖਾਂ ਚ ਗੁਜਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ .....

ਦਿਲ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਪੁਕਾਰ
ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਲਬ ਖਾਮੋਸ਼ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹੈ ....

ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਵੀ ਆਵੇਗਾ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਸੁਣ -ਸੁਣ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਵੀ ਟੂਟੇਗਾ ................
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( हिंदी में अनुवाद )

मैं तुझे पुकारती रहूंगी
पर कब तक ...!
मेरी पुकार का तू जवाब
नहीं देता
तब तक ...!

यह तो मुझे भी पता है
मैं भी जानती हूँ
मेरी पुकार तू सुनता है
यह दीवारों से ही नहीं टकराती
तेरे दिल की दीवारों को
भी चीर देती है .....

मुझे यह भी पता है
तू मेरी पुकार अनसुनी भी नहीं करता
तू भी मुझे पुकारता है
तेरा मौन मुझे पुकारता है ....

यह पुकार सुनती है
मुझे
रात के सुनसान अंधेरो में
तेरी यह पुकार
मुझे सोने नहीं देती
सारी  रात आखों में ही
गुज़र जाती है .......

दिल को दिल की पुकार
 सुनती है
लब खामोश ही रहते हैं ........

एक दिन वह भी आएगा
मेरी पुकार सुन -सुन कर
तेरा मौन भी टूटेगा .......



Sunday 13 January 2013

मतलब से बनी यह दुनिया .....

मतलब से बनी
यह दुनिया
मतलब तक ही
सिमटी है ...
कौन किसका यहाँ
सब मतलब से
ही मिलते है ....

जब तक मतलब
निभता है
मुस्कुराते है
गुनगुनाते है
प्य्रार -प्रेम भी
जतलाते हैं
मतलब निकला
अजनबी बन जाते है
अनदेखी-अनसुनी कर
निकल जाते हैं .....


मतलबी दुनिया में
मुस्कुराते चेहरों में
कौन सच्चा - कौन झूठा
मतलब पड़ने पर
पहचान पाते हैं ....
जो मतलब निकलने पर
गुम  हो जाते हैं ....



Tuesday 1 January 2013

एक आस

कई साल
न जाने कितने साल ,
ना कोई ख़त आया तुम्हारा
ना उम्मीद ही टूटी मेरी ...

हवा सी एक लहराई
पुर्जा उड़ मेरे हाथ आया
तुम्हारा लिखा ख़त
यह तुम्हारा ही ख़त है जो
मेरे हाथ आया ......

एक आस , एक उम्मीद
मुझसे मिलने की
लिख डाली तुमने
नए साल में शायद एक बार
तो मिल जाओगी
जान कर ना सही
अचानक ही ...

तुम्हारी लेखनी क्या है
जैसे सामने ही बैठे बतिया रहे हो
कह रहे हो
जब सामने आऊँ तो नजर न
चुराना
नज़रों से नज़रे मिला कर
मुस्कुरा देना .....

मैं सोचती
पुर्जे को लबों से छुआ कर
नज़रों के सामने तुम होंगे तो
मुस्कुरा कहाँ पाऊँगी
ये नयन तो भर ही जायेंगे
तुम्हे सामने पा कर ....

हवा फिर लहराई
पुर्जा भी थोडा लहराया
देख ,नयन फिर भर आये
उस पर कुछ भी ना था
कोरा था मेरी आस
मेरी उम्मीद की तरह .........