Friday 23 August 2013

मुहब्बत कभी एक तरफा नहीं होती

कहीं पढ़ा था कभी
किसी  ने कहा था कहीं ,
ना जाने किसी के लिए
या खुद को  समझाने के लिए ही
लिखा था उसने
ना जाने किसी के लिए ,

लिखा था उसने
मुहब्बत कभी एक तरफा
 नहीं होती
तो मैंने भी यही  जाना
हाँ !
मुहब्बत एक तरफा तो नहीं होती
कभी  लेकिन
 तुमने भी  यही जाना है  क्या !

यह मुहब्बत  तो दोनों
 तरफ ही होती है
एक मन से  पुकार लगाता है तो
दूजा बैचेन
 किसलिए हो उठता है
क्या तुमने भी यही जाना है कभी  !

----उपासना सियाग





Wednesday 21 August 2013

नहीं जानती मैं यह सच है या भ्रम

अक्सर
कुछ आहटें
एक  पदचाप सी
पीछा करती है मेरा

एक साया सा
रहता है मेरे साथ
लिपटी रहती है एक महक
एक नम स्पर्श की

 नहीं जानती मैं
यह सच है या भ्रम
लेकिन
यह मुझे यकीन तो है
कुछ आहटें मेरे पीछे चला
करती है

ये आहटें जानी पहचानी सी ,
होती है कुछ अपनी सी
लेकिन
साहस नहीं होता
मुड़ कर देखने का
भय आता है
भ्रम टूटने का

नहीं देख सकती मुड़ कर
जीती रहती हूँ
बस इसी भ्रम में कि
ये आहटें मेरी जानी पहचानी है
नहीं मालूम मुझे
सच में जानी पहचानी भी है या
भ्रम ही  है मेरा


Friday 16 August 2013

मुझे बस तू ही तू आया नज़र

तेरी तलाश
कहाँ -कहाँ न की मैंने ,
मुझे बस
तू ही तू
आया नज़र हर जगह  …

हर जगह
नज़र आया बस तू ही
फिर भी
ना जाने क्यूँ लगता है मुझे
बस तुझे ही देखूं
जहाँ तक नज़र जाए  ….

दिल के
छोटे से कोने में
देखा जब झाँक कर
वहां भी नज़र तू ही आया  ….

इस जहां की
हर शह में
बस एक तू ही नज़र आया  ,
तू नहीं नज़र आया
तो सिर्फ
मेरी हाथों की लकीरों ही में  …।





Saturday 10 August 2013

मायके से विदाई की बेला


मायके से विदाई की बेला 
 मन और आँखों
 का एक साथ भरना , 
एक -एक करके बिखरा सामान
 सहेजना ...

बिखरे सामान को सहेजते हुए
 हर जगह- हर एक कोने में 
अपना एक वजूद भी 
नज़र आया,
 जो बरसों उस घर में जिया था ...
कुछ खिलौने ,
कुछ पेन -पेंसिलें ,
कुछ डायरियां 
और वो दुपट्टा भी 
जो माँ ने पहली बार
 सँभालने को दिया था ...

 माँ की कुछ  नसीहते 
तो  पापा की
 सख्त हिदायतें भी
नजर आयी  …. 

टांड पर उचक कर देखा
 तो एक ऊन का छोटा सा गोला
 लुढक आया 
साथ में दो सींख से बनी
 सिलाइयां भी ,
जिस पर कुछ बुना  हुआ था
 एक नन्हा ख्वाब जैसा ,
उलटे पर उलटा और
 सीधे पर सीधा...

अब तो जिन्दगी की 
उधेड़-बुन में 
उलटे पर सीधा और 
सीधे पर उल्टा ही 
बुना जाता है ...

कुछ देर बिखरे 
वजूद को समेटने की
 कोशिश में ऐसे ही खड़ी रही 
 पर  कुछ भी समेट ना सकी 
दो बूंदें  आँखों से ढलक पड़ी ...

Saturday 3 August 2013

ਹੁਣ ਮੈਂ ਤੈੰਨੂ ਯਾਦ ਨਹੀ ਕਰਦੀ ...अब मैं तुम्हें याद नहीं करती



ਹੁਣ ਮੈਂ ਤੈੰਨੂ ਯਾਦ 
ਨਹੀ ਕਰਦੀ 
ਯਾਦ ਤਾਂ ਮੈਂ ਤੈੰਨੂ ਕਦੇ ਵੀ 
ਨਹੀ ਕੀਤਾ ...

ਯਾਦ ਕਿਵੇਂ ਕਰਦੀ ਤੈੰਨੂ 
ਤੂ ਹੀ ਬਤਾ ਮੈੰਨੂ ,
ਪਹਲਾਂ ਤਾਂ ਤੂ ਮੈੰਨੂ 
ਤੇਰੇ ਭੁਲ ਜਾਣ ਦਾ ਤਰੀਕਾ 
ਹੀ ਦਸ ਜਾ ...

ਜਦੋਂ ਤੈੰਨੂ ਭੁਲ ਜਾਵਾਂਗੀ
ਉਸ ਦਿਨ ਤੋਂ
ਤੈੰਨੂ ਯਾਦ ਕਰਨ 
ਵੀ ਲੱਗਾਂਗੀ 
ਹੁਣ ਮੈਂ ਤੈੰਨੂ ਯਾਦ ਨਹੀ ਕਰਦੀ ...

.................................................. 
हिंदी में अनुवाद 

अब मैं तुम्हें याद
नहीं करती
याद तो मैंने तुम्हें कभी भी 

नहीं किया

तुम्हें याद कैसे करती
तुम ही बतलाओ मुझे
पहले तो मुझे
अपने को भूल जाने का तरीका
ही बता जाओ 

जब तुम्हें भूल जाउंगी
उस दिन से
तुम्हें याद करने लगूंगी
अभी तो मैं तुम्हें याद नहीं करती