तेरी तलाश
कहाँ -कहाँ न की मैंने ,
मुझे बस
तू ही तू
आया नज़र हर जगह …
हर जगह
नज़र आया बस तू ही
फिर भी
ना जाने क्यूँ लगता है मुझे
बस तुझे ही देखूं
जहाँ तक नज़र जाए ….
दिल के
छोटे से कोने में
देखा जब झाँक कर
वहां भी नज़र तू ही आया ….
इस जहां की
हर शह में
बस एक तू ही नज़र आया ,
तू नहीं नज़र आया
तो सिर्फ
मेरी हाथों की लकीरों ही में …।
कहाँ -कहाँ न की मैंने ,
मुझे बस
तू ही तू
आया नज़र हर जगह …
हर जगह
नज़र आया बस तू ही
फिर भी
ना जाने क्यूँ लगता है मुझे
बस तुझे ही देखूं
जहाँ तक नज़र जाए ….
दिल के
छोटे से कोने में
देखा जब झाँक कर
वहां भी नज़र तू ही आया ….
इस जहां की
हर शह में
बस एक तू ही नज़र आया ,
तू नहीं नज़र आया
तो सिर्फ
मेरी हाथों की लकीरों ही में …।
बहुत सुंदर रचना,,,
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.
बहुत खुबसूरत रचना
ReplyDeletelatest os मैं हूँ भारतवासी।
latest post नेता उवाच !!!
बहुत बढिया...
ReplyDeleteभावो को संजोये रचना......
ReplyDeleteखामोश प्यार की दास्ताँ कहती बेहतरीन लाइन
ReplyDeleteदिल को छूती हुई प्रेम की पाती .. शब्द एक खामोश प्रेम की कथा को कह रहे है ..
ReplyDeleteदिल से बधाई स्वीकार करे.
विजय कुमार
मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com
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