Friday, 16 August 2013

मुझे बस तू ही तू आया नज़र

तेरी तलाश
कहाँ -कहाँ न की मैंने ,
मुझे बस
तू ही तू
आया नज़र हर जगह  …

हर जगह
नज़र आया बस तू ही
फिर भी
ना जाने क्यूँ लगता है मुझे
बस तुझे ही देखूं
जहाँ तक नज़र जाए  ….

दिल के
छोटे से कोने में
देखा जब झाँक कर
वहां भी नज़र तू ही आया  ….

इस जहां की
हर शह में
बस एक तू ही नज़र आया  ,
तू नहीं नज़र आया
तो सिर्फ
मेरी हाथों की लकीरों ही में  …।





6 comments:

  1. बहुत सुंदर रचना,,,
    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
    RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

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  2. भावो को संजोये रचना......

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  3. खामोश प्यार की दास्ताँ कहती बेहतरीन लाइन

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  4. दिल को छूती हुई प्रेम की पाती .. शब्द एक खामोश प्रेम की कथा को कह रहे है ..

    दिल से बधाई स्वीकार करे.

    विजय कुमार
    मेरे कहानी का ब्लॉग है : storiesbyvijay.blogspot.com

    मेरी कविताओ का ब्लॉग है : poemsofvijay.blogspot.com

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