Saturday 30 November 2013

ਤੂੰ ਵੀ ਕਦੀ ਇਹ ਸੋਚਿਆ ...!( कभी तूने भी ये सोचा...! )

  ਕਦੇ - ਕਦੇ ਮੈਂ ਇਹ
ਸੋਚਦੀ ਹਾਂ
ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਮੇਰਾ
ਇੱਕ ਮੁਸ੍ਕਾਨ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੈ

ਤੇਰਾ ਨਾਮ,
ਤੇਰਾ ਖਿਆਲ ਹੀ
ਮੇਰੇ ਬੁੱਲਾਂ ਚ ਮੁਸਕਾਨ ਲਾ ਦਿੰਦੀ ਹੈ
  ਤੂੰ ਵੀ ਕਦੀ ਇਹ ਸੋਚਿਆ ...!

ਕਦੇ -ਕਦੇ ਮੈਂ ਇਹ
ਵੀ ਸੋਚਦੀ ਹਾਂ
ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਰੰਗਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੈ

ਤੇਰਾ ਨਾਮ ,
ਤੇਰਾ ਖਿਆਲ ਹੀ
ਮੇਰੇ ਮਨ ਨੂੰ ਸਤਰੰਗੀ ਕਰ ਦਿੰਦਾ ਹੈ
ਤੂੰ ਵੀ ਕਦੀ ਇਹ ਸੋਚਿਆ ...!

ਕਦੇ -ਕਦੇ ਮੈੰਨੂ ਇਹ ਵੀ 
ਲਗਦਾ ਹੈ 
ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਮੇਰਾ ਫੁੱਲਾਂ ਦਾ ਰਿਸ਼ਤਾ ਹੈ 

ਤੇਰਾ ਨਾਮ ,
ਤੇਰਾ ਖਿਆਲ ਹੀ 
ਮੇਰੇ ਮੁਖ ਤੇ ਗੁਲਾਬ ਖਿੜਾ ਦਿੰਦਾ ਹੈ ,
ਤੂੰ ਵੀ ਕਦੀ ਇਹ ਸੋਚਿਆ ...!

ਇਹ ਮੁਸਕਾਨ ਦਾ ਆਉਣ,
ਮਨ ਸਤਰੰਗੀ ਹੋ ਜਾਉਣ ਤੇ 
 ਗੁਲਾਬਾਂ ਦਾ ਖਿੜ ਕੇ 
ਮੁਖ ਨੂੰ ਗੁਲਾਬੀ ਕਰ ਜਾਉਣ 

ਤੇਰੇ ਨਾਲ ਮੇਰਾ
ਕੁਝ ਨਾ ਕੁਝ ਰਿਸ਼ਤਾ 
ਜੋੜ ਹੀ ਜਾਉਂਦਾ ਹੈ 
ਤੂੰ ਵੀ ਕਦੀ ਇਹ ਸੋਚਿਆ ...!


…………………………………………( हिंदी अनुवाद )

कभी -कभी मैं
यह सोचती हूँ
तेरा - मेरा रिश्ता एक मुस्कान का है

तेरा नाम ,
तेरा ख्याल
मेरे लबों पर एक मुस्कान
ला देता है
कभी तूने भी ये सोचा ...!

कभी - कभी मैं
यह भी सोचती हूँ
तेरे साथ मेरा रंगों का रिश्ता है

तेरा नाम ,
तेरा ख्याल मेरे मन को
सतरंगी कर देता है
कभी तूने भी ये सोचा ...!

कभी मुझे यह भी
लगता है
तेरे साथ मेरा फूलों का रिश्ता है

तेरा नाम ,
तेरा ख्याल ही
मेरे मुख पर गुलाब खिला देते हैं
कभी तूने भी ये सोचा ...!

यह मुस्कान का आना
मन सतरंगी हो जाना
और
गुलाबों को खिल कर
मुख का गुलाबी हो जाना

तेरे साथ मेरा
कुछ न कुछ रिश्ता जोड़ ही
जाता है
कभी तूने भी ये सोचा ...!



(चित्र गूगल से साभार )



Saturday 23 November 2013

कभी -कभी कुछ नाम

कभी -कभी कुछ नाम
कुछ कमज़ोर दीवारों पर
 उकेर कर मिटा दिए जाते हैं
निशान तो फिर भी रह जाते हैं
उन कमज़ोर दीवारों की  सतह पर
वक्त गुज़रते  - गुज़रते
धुंधलाते कहाँ है वे नाम ...

मिटाये नामों को
उँगलियों से छू कर उकेर दिया जाय
वे  उभर आते हैं फिर से
उग आते हैं
कंटीली नागफनियाँ की तरह
कमज़ोर दीवारों की सतहों पर ...

खरोंचते रहते हैं
हृदय की  मज़बूत दीवारों को
धीरे -धीरे रिसता लहू
हृदय की  दीवारों पर ही लिपटता रहता ,
 होठों पर मुस्कान ,हृदय में पीड़ा
बन उभरते रहते हैं वे नाम ...








Thursday 21 November 2013

मुझसे ना हो पायेगी विदाई बेटी की

दो पुरुष 
पास -पास बैठे 
एक कुछ अनमना सा ,
उदास कहीं खोया सा
कभी था पत्थर दिल 
आज जैसे पिघला सा 
झुके कंधे 
आँखों में आशंकाओं के बादल लिए ...

दूसरे ने कंधे पहले के कन्धे पर
हाथ रख 
पूछा आँखों ही आँखों में 
 क्यूँ क्या हुआ .....!
जैसे रो ही पड़ा पहला 
बोल पड़ा 
दूसरे का हाथ थाम कर 
 बेटी की विदाई नहीं देखी जाएगी मुझसे ...

दूसरे ने कंधे पहले के कन्धे पर
हाथ रख 
पूछा आँखों ही आँखों में 
 क्यूँ क्या हुआ .....!
जैसे रो ही पड़ा पहला 
बोल पड़ा 
दूसरे का हाथ थाम कर 
 बेटी की विदाई नहीं देखी जाएगी मुझसे ...

इतने प्यार से पाला जिसको
उसे पराये हाथों में कैसे देदूं ,
कलेजा विदीर्ण हुआ  जाता है
सोच कर ही 
मुझसे ना हो पायेगी 
विदाई बेटी की
अब तुम ही करना उसको विदा ...
दूसरा  हंस पड़ा मन ही मन

मन ही मन सवाल भी किया 
पहले से
भरी आँखों से 
अपना -पराया अब  समझे हो ...!
मैंने भी तो पराये हाथों में ही सौपीं थी 
अपनी बहन
क्या मान रखा था तुमने...

दूसरे की आँखों के प्रश्न 
पहला समझ गया शायद 
झुका दी पलकें उसने अपनी 
शर्म से -पश्चाताप से।
दूसरे ने 
निशब्द अपने आसू पोंछ कर
पहले के भी आंसू पोंछते हुए धीरे से
उसके कन्धे थप-थपा दिए ...



Thursday 14 November 2013

तुम्हारा नाम मुझे तुमसे भी अच्छा लगता है

तुमसे भी अच्छा 
तुम्हारा नाम लगता है 
मुझे 
जो रहता है 
मेरे आस -पास ही
महका -महका सा ...

 जब धीमे से गुनगुनाती हूँ 
तुम्हारा नाम
 हवा में घुल कर
 महका जाता है  हवा को ...

कभी -कभी  मुझे ,
खिड़की से झांकती 
रेशमी - मुलायम सी ,
सुबह के  सूरज की
 पहली किरण सा लगता है ...

सर्द रातों में 
गर्म लिहाफ सा 
तुम्हारा नाम मुझे तुमसे भी 
अच्छा लगता है ...

Monday 11 November 2013

जब तुम मुझसे जुदा हुए थे ....

जब तुम मुझसे जुदा हुए थे
तब मैं उदास मुख और 

भरी आँखों से
तुम्हे जाते हुए 

ठीक से न देख पाई,
और ना ही मुस्कुरा पाई थी ...


सोचती हूँ लेकिन 

 अब भी जब तुम मिलोगे 
मुझे कभी जब भी 
तो मैं 
तुम्हें क्या ठीक से देख भी पाउंगी
और मुस्कुरा भी तो कहाँ  पाऊँगी
क्यूँ कि 

अब तो 
लगा है आँखों पर चश्मा
और मुहं में नकली दांत ...


( चित्र गूगल से साभार )