दो पुरुष
पास -पास बैठे
एक कुछ अनमना सा ,
उदास कहीं खोया सा
कभी था पत्थर दिल
आज जैसे पिघला सा
इतने प्यार से पाला जिसको
उसे पराये हाथों में कैसे देदूं ,
कलेजा विदीर्ण हुआ जाता है
पास -पास बैठे
एक कुछ अनमना सा ,
उदास कहीं खोया सा
कभी था पत्थर दिल
आज जैसे पिघला सा
झुके कंधे
आँखों में आशंकाओं के बादल लिए ...
दूसरे ने कंधे पहले के कन्धे पर
हाथ रख
पूछा आँखों ही आँखों में
क्यूँ क्या हुआ .....!
जैसे रो ही पड़ा पहला
बोल पड़ा
दूसरे का हाथ थाम कर
बेटी की विदाई नहीं देखी जाएगी मुझसे ...
दूसरे ने कंधे पहले के कन्धे पर
हाथ रख
पूछा आँखों ही आँखों में
क्यूँ क्या हुआ .....!
जैसे रो ही पड़ा पहला
बोल पड़ा
दूसरे का हाथ थाम कर
बेटी की विदाई नहीं देखी जाएगी मुझसे ...
इतने प्यार से पाला जिसको
उसे पराये हाथों में कैसे देदूं ,
कलेजा विदीर्ण हुआ जाता है
सोच कर ही
मुझसे ना हो पायेगी
विदाई बेटी की
अब तुम ही करना उसको विदा ...
अब तुम ही करना उसको विदा ...
दूसरा हंस पड़ा मन ही मन
मन ही मन सवाल भी किया
पहले से
भरी आँखों से
अपना -पराया अब समझे हो ...!
मैंने भी तो पराये हाथों में ही सौपीं थी
मैंने भी तो पराये हाथों में ही सौपीं थी
अपनी बहन
क्या मान रखा था तुमने...
क्या मान रखा था तुमने...
दूसरे की आँखों के प्रश्न
पहला समझ गया शायद
झुका दी पलकें उसने अपनी
शर्म से -पश्चाताप से।
दूसरे ने
निशब्द अपने आसू पोंछ कर
पहले के भी आंसू पोंछते हुए धीरे से
उसके कन्धे थप-थपा दिए ...
पहले के भी आंसू पोंछते हुए धीरे से
उसके कन्धे थप-थपा दिए ...
मर्मस्पर्शी ......
ReplyDeleteबहुत मर्मस्पर्शी रचना.
ReplyDeleteदिल को छू गयी आपकी रचना
ReplyDeletehttp://hindibloggerscaupala.blogspot.in/के शुक्रवारीय अंक ४७ में २२/११/२०१३ तिथि को आपकी रचना को शामिल किया जाएगा कृपया अवलोकन हेतु पधारे धन्यवाद
ReplyDeleteरिशतों की गुत्थी और अंतर को बताने वाली सुंदर कविता। संवाद, सवाल, भाव, पीडा, हुक, याद, एहसास... से भरपुर।
ReplyDeleteमार्मिक।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (23-11-2013) "क्या लिखते रहते हो यूँ ही" “चर्चामंच : चर्चा अंक - 1438” पर होगी.
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
सादर...!
मन को छूती शब्द रचना ....
ReplyDeleteबहुत मार्मिक रचना
ReplyDeleteयही तो होता है.. जब बात खुद पर आती है तो .. अति सुन्दर..
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