Saturday, 23 November 2013

कभी -कभी कुछ नाम

कभी -कभी कुछ नाम
कुछ कमज़ोर दीवारों पर
 उकेर कर मिटा दिए जाते हैं
निशान तो फिर भी रह जाते हैं
उन कमज़ोर दीवारों की  सतह पर
वक्त गुज़रते  - गुज़रते
धुंधलाते कहाँ है वे नाम ...

मिटाये नामों को
उँगलियों से छू कर उकेर दिया जाय
वे  उभर आते हैं फिर से
उग आते हैं
कंटीली नागफनियाँ की तरह
कमज़ोर दीवारों की सतहों पर ...

खरोंचते रहते हैं
हृदय की  मज़बूत दीवारों को
धीरे -धीरे रिसता लहू
हृदय की  दीवारों पर ही लिपटता रहता ,
 होठों पर मुस्कान ,हृदय में पीड़ा
बन उभरते रहते हैं वे नाम ...








15 comments:

  1. बहुत सुन्दर भावों का संचार करती प्रस्तुति

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  2. सुंदर भावों का सममिश्रण ....सुंदर रचना ...

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  3. कोमल भावनाओं कि भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

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  4. bahut hi komal evam khoobsoorat abhivyakti..

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  5. कोमल भावों कि सुन्दर अभिव्यक्ति !
    नई पोस्ट तुम

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  6. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

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  7. हिंदी ब्लॉगर चौपाल पर आपकी रचना को शामिल किया जा रहा हैं कृपया अवलोकन हेतु पधारे

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  8. बहुत सुंदर रचना.

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  9. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (30-11-2013) "सहमा-सहमा हर इक चेहरा" “चर्चामंच : चर्चा अंक - 1447” पर होगी.
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है.
    सादर...!

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  10. बहुत भावपूर्ण रचना...

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