Saturday, 10 August 2013

मायके से विदाई की बेला


मायके से विदाई की बेला 
 मन और आँखों
 का एक साथ भरना , 
एक -एक करके बिखरा सामान
 सहेजना ...

बिखरे सामान को सहेजते हुए
 हर जगह- हर एक कोने में 
अपना एक वजूद भी 
नज़र आया,
 जो बरसों उस घर में जिया था ...
कुछ खिलौने ,
कुछ पेन -पेंसिलें ,
कुछ डायरियां 
और वो दुपट्टा भी 
जो माँ ने पहली बार
 सँभालने को दिया था ...

 माँ की कुछ  नसीहते 
तो  पापा की
 सख्त हिदायतें भी
नजर आयी  …. 

टांड पर उचक कर देखा
 तो एक ऊन का छोटा सा गोला
 लुढक आया 
साथ में दो सींख से बनी
 सिलाइयां भी ,
जिस पर कुछ बुना  हुआ था
 एक नन्हा ख्वाब जैसा ,
उलटे पर उलटा और
 सीधे पर सीधा...

अब तो जिन्दगी की 
उधेड़-बुन में 
उलटे पर सीधा और 
सीधे पर उल्टा ही 
बुना जाता है ...

कुछ देर बिखरे 
वजूद को समेटने की
 कोशिश में ऐसे ही खड़ी रही 
 पर  कुछ भी समेट ना सकी 
दो बूंदें  आँखों से ढलक पड़ी ...

16 comments:

  1. बहुत खूब ..मायका जाना जितना सुखद होता हैं उतना ही दर्द भी मिलता हैं पुरानी यादो का अपनों से दूर हो जाने का .......

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  2. bahut hi sunder bahut hi umda ..didi ji

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  3. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा कल सोमवार [12.08.2013]
    चर्चामंच 1335 पर
    कृपया पधार कर अनुग्रहित करें
    सादर
    सरिता भाटिया

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  4. बहुत ही सुंदर उम्दा पोस्ट ,,,

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  5. बहुत कुछ लहरा गया यादों में .......

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  6. bahut kuch yaad aa gaya padh kar...man ko chute bhav

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  7. माय्की की यादें जहां सुकून देती हैं... वहीं वर्तमान का कोहरा भटकाव लाता है ... जिससे उभारना मुशकि हो जाता है ...

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  8. एक संपूर्ण अध्याय होता है मायके का जीवन ,फिर कथानक का दूसरा भाग चल पड़ता है .

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  9. मायका की याद एक अविस्मरनीय धरोहर है इसे कोई लड़की भूलना नहीं चाहती है
    latest post नेताजी सुनिए !!!
    latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!

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  10. यही होता है बीत जाने पर हम कुछ भी समेट नहीं पाते बस रीता रह जाता है

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  11. वाह...बहुत ही उम्‍दा पोस्‍ट

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  12. विदाई की बेला में बीते वर्षों के सब पल समेटना बहुत मुश्किल होता है...

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  13. कोमल भावो की और मर्मस्पर्शी.. अभिवयक्ति .....

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