Tuesday, 10 November 2015

तुम दीप बन जाना...


अँधेरा मेरे
मन का,
अमावस सा।

ना कर  सको
 अगर
चाँद सा उजाला। 
तुम,
दीप बन जाना।

बन कर
दीप
रोशन करना
मेरी आस का पथ।




4 comments:

  1. बहुत सुन्दर...दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

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  2. बहुत ख़ूब। दीप पर्व की शुभकामनाएँ।

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  3. बहुत ख़ूब। दीप पर्व की शुभकामनाएँ।

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  4. आपकी इस प्रस्तुति की चर्चा 12-11-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2158 पर की जाएगी |
    दीपावली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    धन्यवाद

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