गहरे सांवले रंग पर
गुलाबी सिंदूर ,
गोल बड़ी बिंदी ...
गोल बड़ी बिंदी ...
कहीं से घिसी ,कहीं से
सिली हुई साड़ी पहने
अपनी बेटी के साथ ,
खड़ी कुछ कह रही थी
मेरी नयी काम वाली ..
मेरी नज़र उस के चेहरे ,
गले और
बाहं पर मार की
ताज़ा -ताज़ा चोट पर
भरी गहरी मांग पर भी ...
मैं पूछ बैठी ,
कितने बच्चे है तुम्हारे ,
सकुचा कर बोली जाने दो
बीबी ...!
क्यूँ ...?
तुम्हारे ही है ...!
तुम्हारे ही है ...!
या चुराए हुए ,
और तुम्हारा
और तुम्हारा
नाम क्या है ,
बेटी का भी...
बेटी का भी...
वो बोली नहीं -नहीं बीबी ...
चुराऊँगी क्यूँ भला
पूरे आठ बच्चे है ...!
ये बड़ी है,
ये बड़ी है,
सबसे छोटा गोद में है ...
पता नहीं मुझे क्यूँ हंसी
आ गयी
इसलिए नहीं कि उसके
आठ बच्चे है
कि
कि
अपने ही बच्चों की भूख
के लिए सुबह से शाम भटकती
"अन्नपूर्णा " और उसकी बेटी
" लक्ष्मी "...!
Behtreen rachna
ReplyDeleteहार्दिक आभार शांति जी
Deletebohat khoob....
ReplyDeletehttp://boseaparna.blogspot.in/
हार्दिक आभार अपर्णा जी
Deleteसुन्दर रचना ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार कविता जी
Deleteकड़वा सच
ReplyDeleteसही कहा आपने अंजू ...हार्दिक आभार
Deleteवाह...!!
ReplyDeleteहार्दिक आभार मनोहर चमोली जी
Deleteइसमें दोष केवल अनपूर्णा का नहीं कि उसे आठ बच्चे हैं। दोष है पति का जो रात भर जगाकर बच्चे पैदा कर रहा है, दिन होती ही शराब के हड्डे पर बैठता है और संध्या होते-होते पिटने पर उतारू होता है।
ReplyDeleteसही कहा विजय जी ....हार्दिक आभार
Deletetrasadi ko bayaan karati
ReplyDeleteहार्दिक आभार रमाकांत जी
Deletebahut hi marmik chitran humare samaaj ke ek apekshit varg ka...acchi kavita.
ReplyDelete-Abhijit (Reflections)
हार्दिक आभार अभिजीत जी
Deletekitni hi aise hi bhatakti rehti hai.....marmik rachna....
ReplyDeleteहार्दिक आभार रेवा जी
Deleteज़िन्दगी का एक सच ये भी है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार वंदना जी
Deleteत्रासद या हास्यास्पद,मालूम नहीं
ReplyDeleteराजेश सिंह जी इसे हम त्रासद पूर्वक ही कह सकते हैं क्यूँ की एक माँ जिसका नाम अन्नपूर्णा है और उसीके बच्चे भूख से बिलबिलाते है और बेटी का का नाम लक्ष्मी है और वह दूसरों के घर झाड़ू लगाती है ....नाम में क्या रखा है
Deleteबहुत शुक्रिया जी आपका
सोचने को विबश करती रचना ..
ReplyDeleteहार्दिक आभार दिगम्बर नासवा जी
Deleteआज का कड़वा सच ..सुन्दर रचना..
ReplyDeleteहार्दिक आभार महेश्वरी जी
Deleteबहुत खूब
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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हार्दिक आभार तुषार राज जी
Deletedi....agar ye annpoorna hain to.......bhookh gareebi bebasi lachari kaisi hoti hogi????
ReplyDeletezindgi se juda kadwa sach ,jise niyati ka nam dediya jata hai.....ak nahi lakho aannpurnaye aisi jindgi jine par bebs hai
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