Friday, 24 May 2013

ਭਾਵੇਂ ਤੂ ਚੁਪ ਰਹਿ ( चाहे तू चुप रहे )


ਭਾਵੇਂ  ਤੁੰ  ਚੁਪ ਰਹਿ
ਕੁਝ ਨਾ ਬੋਲ
ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਚੁੱਪੀ ਨੁੰ ਵੀ
ਸੁਣ ਲੇਂਦੀ ਹਾਂ ...

 ਕਿਵੇਂ ...!
ਏ ਰਾਜ਼  ਤੁੰ ਨਹੀ ਜਾਣ ਸਕਦਾ ,
ਕਿਉਂਕਿ
ਮੈਂ  ਵੀ ਹਾਲੇ ਤਕ
ਇਹ ਰਾਜ਼ ਨਹੀ ਸਮਝੀ ...

ਪਰ ਤੈਂਨੂੰ  ਤਾਂ ਮੈਂ ਸਮਝ
ਹੀ ਗਈ ਹਾਂ
ਚੁਪ ਬੂਲੀਆਂ ਚ ਕੁਝ ਨਾ
ਬੋਲ ਕੇ ਵੀ
ਸਬ ਕੁਝ ਸਮਝਾ ਦੇਣਾ
ਇਹ ਤੇਰੀ ਆਦਤ
ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ ...

ਅੱਜ ਵੀ ਤੁੰ  ਬਿਨਾ ਬੋਲੇ
 ਚਲਾ ਗਿਆ
ਤਾਂ ਕਿ ਮੈਂ ਅਣਸੁਣੀ ਰਹਿ ਗਈ
ਤੇਰੀ ਗੱਲਾਂ ,
ਤੇਰੀ ਹਰ ਸਾਂਸ ਮੈਂਨੂੰ ਹੀ
ਵਾਜਾਂ ਮਾਰਦੀ ਹੈ
ਭਾਵੇਂ ਤੁੰ ਕੁਝ ਨਾ ਬੋਲੇ ...

..........................................................................................................
चाहे तू चुप रहे
कुछ ना बोले
तेरी चुप्पी को भी मैं
सुन लेती हूँ ...

कैसे ...!
ये राज़ तूं नहीं जान सकता
क्यूंकि
मैं भी अभी तक
यह राज़ नहीं समझी ...

पर तुझे तो मैं समझ ही
 गई हूँ
चुप होठों से
कुछ ना बोल कर भी
सब कुछ समझा देना
यह तेरी पुरानी
 आदत है ...

आज भी तू बिन बोले
चला गया
तो क्या मैं अनसुनी रह गए
तेरी बातें ,
तेरी हर साँस मुझे ही
आवाजें देती है
चाहे तू कुछ न बोले ...


( चित्र गूगल से साभार )


13 comments:

  1. कुछ अनकहे से अहसास ....बहुत खूब

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  2. ख़ामोशी की भी आवाज निराली होती है
    बेहतरीन भावों की अभिव्यक्ति

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  3. बहुत सुंदर.अहसास.

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  4. अपनेपन के खूबशूरत अहसास को बखूबी सजाया है ***सांसों की धडकन को पढ़ती कविता

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  5. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-05-2013) के चर्चा मंच 1256 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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  6. Replies
    1. बहुत बेहतरीन,सुंदर अहसासों से सजी रचना ,,

      RECENT POST : बेटियाँ,

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  7. कभी मौन भी बहुत-कुछ व्यक्त कर देता है !

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  8. शब्दों से ज्यादा मौन बाचाल होता है और उस से ज्यादा अहसास!

    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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  9. अभिव्यक्ति के लिए शब्द ही आवश्यक नहीं

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  10. इतना भरोसा है तो फिर लवों को खुलने की जरूरत ही कहाँ है ..आपने आँखें पढ़ना सीख लिया ..बहुत ही सुंदर प्रस्तुति

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  11. जिस तरह हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई है , उसी तरह हर बातचीत, संवाद, communication, संप्रेषण का अंजाम मौन ही होता है .......

    जो मौन के द्वारा संवाद कर सकता हो और जो मौन को पढ़/समझ सकता हो तो इससे बेहतर और कुछ नहीं .......

    आपकी इस सुंदर अभिव्यक्ति पर बहुत सी शुभकामनायें !

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