Friday, 17 May 2013

वह उसकी परछाई ही होती है ...


दुनिया में इंसान का 
हर रिश्ता ,
हर एक सम्बन्ध 
भरा  है
स्वार्थ और मतलब से ...

जो साथ रहती है 
एक सच्चे  मित्र की तरह ,
एक वफादार 
जीवन संगिनी की तरह, 
सुबह से लेकर शाम तक
 वह उसकी परछाई ही 
 होती है ...

यह परछाई 
भरी दुपहरी में उसके 
क़दमों तले रह कर भी 
साथ नहीं छोडती
कभी भी ...

गहरी अँधेरी रात में यह परछाई 
उसके अंतर्मन में 
छुप कर उसे सही 
राह भी दिखलाती है ........

11 comments:

  1. sahi kaha .... yeh rishta shabdo ki seemao se pare hota hain rooh se juda hua ........ .ishwar sabka yeh rishta hamesha khusshnuma banaye rakhe

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  2. kya baat hai ..bahut sahi likha hai ..

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  3. एक सच जिसे हर पल याद रखा जा सकता है

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  4. bilkul sahi kaha....ansoo aur parchayee yahi tho sacche dost hain....sundar rachna

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  5. गहनतम भावो से ओतप्रोत अति सुन्दर रचना ,सदर

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  6. अति सुन्दर, परछाई अति महत्त्व पूर्ण कभी साथ नहि छोडती

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  7. गहन भाव लिए बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.

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  8. अति सुन्दर,बेहतरीन प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    latest post वटवृक्ष

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  9. बेहद गहन भाव संजोये हैं आपने इस अभिव्‍यक्ति में ... अनुपम प्रस्‍तुति

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  10. सच कहा परछाई ही होती हैं अपना आप जो नहीं छोडती साथ..लेकिन हम उसे पीछे कर देते हैं सुंदर रचना दी..

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  11. अति सुन्दर।
    आइए जाने वैदिक-ग्रन्थों को फेसबुक परः---
    www.facebook.com/pages/वैदिकसंस्कृत/510066709013675

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