जिन्दगी तुझसे क्या
सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ
तुझसे जैसा चाहा
वैसा ही पाया ...
फूल चाहे तो फूल ही मिले
फूलों में काँटों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के काँटों की
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ...
सितारों भरा आसमान
चाहा तो भरपूर सितारे मिले
कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के टूटे सितारों
की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ...
जिंदगी हर कदम पर तूने
दिया साथ मेरा ,
मंजिल पर आकर राह भटक गयी
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ
मंजिल के लिए तरसना मेरी तकदीर
शिकायत तुझसे क्या करूँ ...
सवाल करूँ , क्या शिकायत करूँ
तुझसे जैसा चाहा
वैसा ही पाया ...
फूल चाहे तो फूल ही मिले
फूलों में काँटों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के काँटों की
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ...
सितारों भरा आसमान
चाहा तो भरपूर सितारे मिले
कुछ टूटे बिखरे सितारों की शिकायत
तुझसे क्यूँ करूँ ,
मेरी तकदीर के टूटे सितारों
की शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ ...
जिंदगी हर कदम पर तूने
दिया साथ मेरा ,
मंजिल पर आकर राह भटक गयी
शिकायत तुझसे क्यूँ करूँ
मंजिल के लिए तरसना मेरी तकदीर
शिकायत तुझसे क्या करूँ ...
Sundar abhivyakti
ReplyDeleteबहुत उम्दा,लाजबाब प्रस्तुति,,उपासना जी
ReplyDeleteRecent post: ओ प्यारी लली,
बहुत भावमयी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteबहुत खूब मंजिले कदम चूम लेंगी उत्साह बना रहने
ReplyDeleteचाहिए,बुलेटि क शोभा बढ़ाने हेतु बधाई
बहुत भावपूर्ण प्रस्तुति !
ReplyDeletelatest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अनुभूति : विविधा -2
आपने लिखा....
ReplyDeleteहमने पढ़ा....
और लोग भी पढ़ें;
इसलिए शनिवार 01/06/2013 को
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in
पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
sikayat kyun karun
ReplyDeleteBEAHATARIN ABHIWYAKTI
बहुत बढिया अभिव्यक्ति !!!
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण रचना...मेरी नई पोस्ट...".ज़रा अज़मां कर देखिए "
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (31-05-2013) के "जिन्दादिली का प्रमाण दो" (चर्चा मंचःअंक-1261) पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर .................कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
ReplyDeleteबहुत भाव पूर्ण रचना,बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteशिकायत करनी भी नहीं चाहिए ..सुंदर रचना ..
ReplyDeleteबहुत सुंदर उपासना जी ! बहुत ही अच्छी और सच्ची रचना ! बहुत खूब !
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