Thursday 2 May 2013

क्यूंकि यही तो जीवन है ...



मेरा जीवन जैसे कोई
जंगल हो पत्थरों का ........
संवेदना ,भावनाओं से परे ,
बेशक बिखरी है आस पास ,
चारों और चमकीली मणियाँ ,
और इन्ही पत्थरों को सर पर
सजा कर अक्सर जीवन की
मुस्कान ढूंढ़ती रहती हूँ  मैं............!
कभी इन बेजान पत्थरों में भी
फूल खिलाने और कभी खिलने
 का इंतज़ार करती रहती हूँ ,
क्यूंकि यही तो जीवन है ...........:)

19 comments:

  1. इतनी निराशा भरी कविता उपासना ने लिखी ...... बात कुछ हजम नही हुयी परन्तु बहुत सुन्दर लिखा हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. जैसे मन की भावना वैसा ही लेख .......शुक्रिया नीलिमा जी

      Delete
  2. Esi bhavna kyu bani upasna ? Vaise kavita achchi likhi hai

    ReplyDelete
  3. चंद शद्बों में आशावादी स्वर। बेजान पत्थरों में फूल खिलाना और खिलने का इंतजार जीवट को दिखाता है।

    ReplyDelete
  4. sundar kavita...shayad kabhi kabhi aa jate hain aise bhav man mey na chahte hue bhi....

    ReplyDelete
  5. वाह ... बेहतरीन

    ReplyDelete
  6. वाह: बहुत सुन्दर भाव ...मेरी पोस्ट..." माँ का आंचल "..अभिव्यंजना में .".मेरा भैया" ..बाल मन की राहें में ..आप का स्वागत है...

    ReplyDelete
  7. बहुत ही सुन्दर कविता |

    ReplyDelete
  8. बहुत बढ़िया प्रस्तुति !
    डैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
    अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
    lateast post मैं कौन हूँ ?
    latest post परम्परा

    ReplyDelete
  9. बहुत बढ़िया प्रस्तुति है .........आशा और निराशा तो जीवन का हिस्सा है

    ReplyDelete
  10. आपकी यह अप्रतिम् प्रस्तुति ''निर्झर टाइम्स'' पर लिंक की गई है।
    http//:nirjhat-times.blogspot.com पर आपका स्वागत है।कृपया अवलोकन करें और सुझाव दें।
    सादर

    ReplyDelete
  11. फूलों को खिलने से कोई नहीं रोक सकता !

    ReplyDelete
  12. बहुत उम्दा,बेहतरीन अभिव्यक्ति,,,

    RECENT POST: दीदार होता है,

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन रचना
    बहुत सुंदर
    बधाई



    आग्रह है मेरे ब्लॉग का भी अनुसरण करे
    http://jyoti-khare.blogspot.in

    ReplyDelete
  14. वो सुबह कभी तो आएगी.....नि‍राशा के बादल छंट ही जाएंगे, उदास न हों

    ReplyDelete
  15. सच में यही जीवन है...बहुत सुन्दर रचना..

    ReplyDelete
  16. जीवन को सुंदरता से परिभाषित किया है, बधाई.

    ReplyDelete