Friday 5 April 2013

बड़े अच्छे लगते है .........



एक वो था जो
 सांसों में बसा था ,
एक ये जिसके 
नाम से सांसे 
चलती है ...........
एक वो था जिसने 
कभी कदमो में 
फूल बिछाये थे ,
और इसने मेरा 
दामन ही फूलों 
से भर दिया ..........
एक वो था जिसने
 नज़रों से भी न
छुआ था ,

और इसके स्पर्श 
ने ही मुझे सोना 
बना दिया .......
.कभी उसने गा
 कर कहा था ,
बड़े अच्छे लगते है 
और इसका मौन ही 
गुनगुनाता रहता 
है  ......
बड़े अच्छे लगते है .........



32 comments:

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    1. हार्दिक आभार कालिपद जी

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  2. बहुत बेहतरीन भावनात्मक सुंदर रचना !!!उपासना जी,,,

    RECENT POST: जुल्म

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    1. हार्दिक आभार धीरेन्द्र सिंह जी

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  3. बहुत ही भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति,आभार.

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    1. हार्दिक आभार राजेन्द्र कुमार जी

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  4. जी ये तो दोनों हाथों में लड्डू होने वाली बात हो गयी :):)

    खूबसूरत अभिव्यक्ति

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    1. अब इस उम्र में लड्डू की बात मत कीजिये संगीता जी , मधुमेह होने का खतरा भी है , हाहा ....आभार

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  5. बहुत खूबसूरत ख्याल

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    1. हार्दिक आभार वंदना जी

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  6. सुन्दर से ख्याल... आभार

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    1. हार्दिक आभार संध्या जी

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  7. बेहतरीन और लाजवाब।

    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी आएं ।

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    1. हार्दिक आभार इमरान अंसारी जी

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  8. आपकी कविता को पढ कर मन्नु भंडारी जी के एक कहानी की याद आई। शायद आपने भी 'यहीं सच है' कहानी पढी होगी; इस पर फिल्म भी बनी है- नाम 'रजनिगंधा।' अगर आपने कहानी नहीं पढी और फिल्म नहीं देखी तो देखे और पढे भी। 'वो' और 'ये' में फंस कर किसी नतिजे पर पहुंचना मुश्किल होता है। भलाई इसमें होती है कि तुलना छोड किसी नतिजे पर पहुंचे। दूसरी बात तुलना करने वाले को बहुत अच्छा और हराभरा महसूस होता है परंतु असल में जो 'ये' और 'वो' होता है उसके लिए मानो दिल पर छुरी चलाना।

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    1. बहुत -बहुत शुक्रिया विजय जी इतनी अमुल्य टिप्पणी देने के लिए ...मैंने रजनी -गंधा मूवी तो देखी है लेकिन नोवल नहीं पढ़ा ..,
      मुझे इन सब का व्यक्तिगत अनुभव नहीं है किसी का सुना तो लिख डाला...मुझे नहीं मालूम यह किसी को आहत भी कर सकता था

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    2. मानना पड़ेगा विजय शिंदे जी को जिनकी जिंदगी और कविता मे छिपे रहस्यों को समझने की पकड़ गज़ब है .....

      उत्तम काव्य पर उत्तम टिप्पणी !

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  9. बहुत सुंदर !
    शुभकामनायें!

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    1. हार्दिक आभार महेश्वरी कनेरी जी

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  10. अच्छों को सब अच्छे लगते हैं ,पर मौका मिले तो ठोंक-बजा लेना भी अच्छा!

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    1. हार्दिक आभार प्रतिभा जी

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  11. आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (07-04-2013) के चर्चा मंच 1207 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ

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    1. हार्दिक आभार अरुण जी

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    1. हार्दिक आभार निशा जी

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  13. बड़ा अच्छा लगा..

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    1. हार्दिक आभार अमृता जी

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    1. हार्दिक आभार शालिनी जी

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  15. This comment has been removed by the author.

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  16. बेहद खूबसूरत अहसासों से लबरेज़ ख़याल ....हार्दिक बधाई

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