तुमको याद करना
तुमको ढूँढना ,
हर आहट पर पलट
कर देखना के तुम
आ रहे हो शायद ...
पर तुम ,तुम
तो हो ही नहीं
एक आभास
ही तो हो ...
मुझे यूँ भी लगता है
,
एक दिन तुम आओगे
और मेरे कंधे पर धीरे
हाथ रखोगे
मैं पलट कर देखूंगी ,
तुम्हे अपने सामने
ही पाऊँगी...
मैं इसी आभास
मैं ही रहती हूँ
और गुम रहना भी
चाहती हूँ ...
( चित्र गूगल से साभार )
उम्मीद जगाये रखियेगा
ReplyDeleteजरुर एक दिन वो आयेगा
आमीन !
हार्दिक आभार विभा जी
Deleteहृदयस्पर्शी..
ReplyDeleteहार्दिक आभार अमृता जी
Deleteमैं इसी आभास में रहती हूँ .........बहुत अच्छा !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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हार्दिक आभार कालिपद जी
Deleteबहुत ही सुन्दर एहसास जिसमे हम जी लेते हैं
ReplyDeleteहार्दिक आभार रमाकांत सिंह जी
Deleteबहुत सुन्दर अहसास..
ReplyDeleteहार्दिक आभार महेश्वरी कनेरी जी
Deleteबहुत सुन्दर |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
Tamasha-E-Zindagi
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हार्दिक आभार तुषार राज जी
Deleteभावनाओं कि खूबसूरत अभिव्यक्ति! बधाइयाँ इस रचना के लिए!
ReplyDelete-Abhijit (Reflections)
हार्दिक आभार अभिजित जी
Deleteबहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteहार्दिक आभार राजेन्द्र जी
Deleteहृदयस्पर्शी रचना..
ReplyDeleteहार्दिक आभार साकेत जी
Deleteखूबसूरत अभिव्यक्ति उपासना जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार अरुणा जी
Deleteएक अनाम इंतजार का प्रकटण। बार-बार आहटों से लगना की वह आया है पर असल में नहीं आना इंतजार करने वाले के आंखों में दुःख बढा देता है।
ReplyDeleteहार्दिक आभार विजय जी
Deleteसुंदर अभिव्यक्ति .....
ReplyDeleteआभास की अवस्था हमेशा एहसास के साथ ही होती है, जबकि सामने सच के होने पर हो सकता है एहसास जैसा भाव न हो .......
इसलिए आभास (Subjectivity), तथ्य/सत्य (Objectivity) से ऊपर ही है ......और ये पंक्ति कि "मैं इसी आभास मे ही रहती हूँ ...... " एक बेहतर अवस्था कही जा सकती है ......
आपकी कल्पना क्षमता की तारीफ करनी पड़ेगी !
शुभकामनायें !
कुछ समझ आया कुछ नहीं आया लेकिन फिर भी आपकी बात अच्छी लगी ..अमुल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार जी
Deleteहार्दिक आभार रूप चन्द्र शास्त्री जी
ReplyDeleteहार्दिक आभार धीरेन्द्र जी
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