सागर का खारापन
सरिता का घुलता अस्तित्व,
हारी सरिता
हठ पर उतर आयी .......
छोड़ देगा अपना खारापन ..
सरिता का हठ ...!
अपनी पहचान बनाने का
धरा की कठोरता
गगन की तपिश ना
गगन की तपिश ना
रोक पाएगी उसे ....
सागर की फैली बाहों को
कर अनदेखा
बस चली,इठलाती
अपनी नयी डगर पर .......
सागर के बिन सरिता का
अस्तित्व भी क्या ...!
जरा सी तपिश ना सहन हुई
कुम्हलाई ,
मुरझाई सरिता ...
कुम्हलाई ,
मुरझाई सरिता ...
मुड़ कर देखा जो
एक बार फिर से
सागर भीगी आँखे लिए
बाहें फैलाये
एक बार फिर से
सागर भीगी आँखे लिए
बाहें फैलाये
प्रतीक्षा में था उसकी
अभी भी ...
अभी भी ...
सरिता फिर से मुड़ चली
सागर से मिलने ..........
सागर और सरिता एक दूजे बिन अधूरे... सागर में समाकर नदी भी पा जाती है उसकी विशालता... लाजवाब रचना ...आभार
ReplyDeleteहार्दिक आभार संध्या जी
DeleteBeautiful words & Picture too. Superb.
ReplyDeleteहार्दिक आभार मदन मोहन जी
Deleteएक-दूसरे के साथ परिपूर्णता। एक-दूसरे के बिन अधुरापन। आत्मा और परमात्मा को जो संबंध है वहीं सरिता और सागर का। नदी का निर्माण स्रोत सागर है तो सागर नदी के अस्तित्व पर टिका हुआ है, इस भाव का प्रकटिकरण करने वाली कविता।
ReplyDeleteहार्दिक आभार विजय जी
Deleteबहुत सुंदर ......
ReplyDeleteहार्दिक आभार जी
Deleteआपकी यह बेहतरीन रचना शनिवार 06/04/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक आभार यशोदा जी
Deleteजीवन एक नदी है
ReplyDeleteरचना में जीवन कीं सुंदर सार्थक अनुभूति प्रस्तुति की है---अद्भुत
बहुत बहुत बधाई
हार्दिक आभार ज्योति खरे जी
Deleteसागर और सरिता एक दूसरे के पूरक है,,,उम्दा अभिव्यक्ति,,,
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हार्दिक आभार धीरेन्द्र सिंह जी
Deleteसरिता और सागर का मिलन,बेहतरीन भावपूर्ण रचना.
ReplyDeleteहार्दिक आभार राजेन्द्र जी
Deleteसरिता की मंजिल सार ही है ... ओर जब तक वो उसमें आत्मसात नहीं होती ... ऐसे ही बहती है ... भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteहार्दिक आभार दिगम्बर नासवा जी
Deleteवाह... बेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसागर और सरिता का मिलन ही नियति है.बहुत सुन्दर रचना..
ReplyDeleteसरिता सागर में मिल अपने असतीतत्व को खत्म कर देती है ...सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सुन्दर.
ReplyDeleteदरअसल सरिता की यही नियति है
ReplyDeleteसरिता की नियति है सागर से मिलना -सुन्दर रचना
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