ਵੇ ਚੰਨ
ਤੈਨੂ ਵੇਖ ਕੇ
ਮੇਨੂ ਉਸਦੀ ਯਾਦ
ਆ ਜਾਂਦੀ ਹੈ..
ਉਸਦੀ ਸੂਰ੍ਤ ਚ
ਤੂ ਦਿਸਦਾ ਹੈ
ਮੇਂਨੂ ...!
ਨਾ ਤੂ ਮੇਰਾ ਹੈ
ਨਾ ਤੂ ਮੇਰਾ ਹੈ
ਨਾ ਓਹ ਵੀ ਮੇਰਾ...
ਇਹ ਰਾਜ਼ ਏ
ਚੰਦਰਾ ਦਿਲ
ਹਾਲੇ ਵੀ ਨਹੀ
ਸਮਝਿਆ...
ਦੂਰ ਰਹਿਣ ਵਾਲੇ
ਦੂਰੋਂ ਹੀ ਦਿਸ੍ਣ ਵਾਲੇ
ਕਦੇ ਅਪਣੇ ਵੀ ਹੁੰਦੇ ਹੈ ?
ਇਹ ਗਲ , ਮੇਰਾ
ਚੰਦਰਾ ਦਿਲ
ਸਮਝਣਾ ਨਹੀਂ ਚਾਹੁੰਦਾ...
ਇਹ ਮੇਰਾ ਦਿਲ
ਚੰਦਰਾ ਹੈ
ਤੇ
ਚੰਦਰਾ ਹੀ ਰਵੇਗਾ...
ਤੇਨੁ ਵੇਖਣ ਦੇ ਸੋ
ਬਹਾਨੇ ਕਢ ਕੇ
ਉਸਨੂੰ ਯਾਦ ਕਰਨਾ
ਵੀ ਤਾਂ
ਵੀ ਤਾਂ
..............................................................................................
ओ चाँद
तुझे देख कर
मुझे उसकी याद
आ जाती है ...
उसकी सूरत में
तू दिखाई देता है
मुझे ...
ना तू मेरा है
ना ही वो मेरा है ...
यह राज़ अभी भी
यह पागल दिल
नहीं समझा ...
दूर रहने वाले
दूर से ही दिखने वाले
कभी अपने हुए है क्या ?
यह बात , मेरा
पागल दिल समझना
नहीं चाहता ...
यह मेरा दिल पागल है ,
पागल ही
रहेगा ...
तुझे देखने के
सौ बहाने
निकाल कर , उसे
याद करना भी नहीं भूलेगा ....
( चित्र गूगल से साभार )
ओ चाँद
तुझे देख कर
मुझे उसकी याद
आ जाती है ...
उसकी सूरत में
तू दिखाई देता है
मुझे ...
ना तू मेरा है
ना ही वो मेरा है ...
यह राज़ अभी भी
यह पागल दिल
नहीं समझा ...
दूर रहने वाले
दूर से ही दिखने वाले
कभी अपने हुए है क्या ?
यह बात , मेरा
पागल दिल समझना
नहीं चाहता ...
यह मेरा दिल पागल है ,
पागल ही
रहेगा ...
तुझे देखने के
सौ बहाने
निकाल कर , उसे
याद करना भी नहीं भूलेगा ....
( चित्र गूगल से साभार )
ReplyDeleteतुझे चाँद के बहाने देखूं .......याद आ गया
latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
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बहुत शुक्रिया कालिपद जी
Deleteवाह ..... क्या बात है ....
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया सदा जी
Deleteवो छिपे रहते हैं इस चाँद में कहीं ... ओर उनकी तस्वीर नज़र आती है ...
ReplyDeleteसही कहा आपने ...आभार
Deleteसही कहा दिल तो पागल है
ReplyDeleteसच में दिल तो पागल है ....बहुत शुक्रिया वंदना जी
Deleteचांद की खूबसूरती दूर से ही भले लगती है। दिल पर रोक किसी की है नहीं उसमें कई चीजों को पाने की मंशा होती है पर वास्तव उससे भिन्न होता है। हजारों समझौतें करने पडते हैं। बस बिना पाए उसे देख कर, सौ बार बहाने बना कर देख कर सुख मानने की बात प्रेम की पवित्रता को लेकर आती जो श्रेष्ठतम् है।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया विजय जी अमुल्य टिप्पणी के लिए
Deletehai to pagal hi
ReplyDeleteहाँ जी सही कहा .....बहुत शुक्रिया अज़ीज़ जौनपुरी जी
Deleteसुंदर भावभरी रचना.अच्छी प्रस्तुति .बधाई .
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया मदन मोहन जी
Deleteबहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDelete"महिलाओं के स्वास्थ्य सम्बन्धी सम्पूर्ण जानकारी
"
बहुत शुक्रिया राजेन्द्र कुमार जी
Deleteआपके इन लाइन के लिए स्वपन शैल मञ्जूषा की दो लाइन
ReplyDeleteतू मेरा है मैं तेरी हूँ
ये तू जाने या मैं जानूं
हार्दिक आभार रमाकांत सिंह जी
Delete
ReplyDeleteप्रेम की गहन अनुभूति
सुंदर रचना
बधाई
बहुत शुक्रिया ज्योति खरे जी
Deleteवाह !!! बेहतरीन भावपूर्ण रचना,आभार,
ReplyDeleteRECENT POST : क्यूँ चुप हो कुछ बोलो श्वेता.
हार्दिक आभार धीरेन्द्र सिंह जी
Deleteखूबसूरत रचना
ReplyDeleteहार्दिक आभार नीलिमा जी
Deleteउफ़ !
ReplyDeleteक्यों है ये पागलपन ?
:-&
सुंदर अभिव्यक्ति ....... पागलपन की !
बहुत शुक्रिया जी
Deleteबहुत शुक्रिया संगीता जी
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