Tuesday, 23 April 2013

ऐसे राजा के राज को क्या कहिये ...!

एक देश में एक राजा
गूंगा  गुड्डा सा ,
नहीं चल सकता बिन सहारे
चलता भी तो कठपुतली सा ,
न मर्ज़ी से गर्दन घुमाता
बोल भी कहाँ पाता
मर्ज़ी से अपनी ....

 जैसा राजा होगा ,
होगी प्रजा भी तो वैसी ही ,
दोष किस्मत को या
नियति को ...

नियति को ...!
तो क्यूँ दे नियति को दोष ,
दोष  किस्मत को भी
क्यूँ दे हम ...

प्रजा ने जब ऐसी ही
नियति पायी हो
तो किस्मत में भी
तो वही पायेगी जो बोया है ...

ऐसे राजा के राज  को
क्या कहिये ...!
अंधेर नगरी , चौपट  राजा ...

ऐसे राज में प्रजा में भी कैसी
 चहुँ ओर फैली
अराजकता ,
दिशाहीन सी भटकती ,
दर -दर न्याय के लिए
लताड़ी  जाती हर जगह से ...

लिए मरा मनोबल
 प्रजा  भी
फिरती बस लाशों की
तरह ...

गर्म धरा पर बूंद उछल
कर मिट जाती क्षण में ,
कुछ ऐसे  ही
प्रजा का जोश भी मिट जाता ...

देखती एक दूसरे को शक से
केवल शोर मचाती
ढोल बजाती
आक्षेप लगाती हर किसी
दूसरे पर ....

नहीं देखा कभी झाँक कर
अपने अंतर्मन में
तलाशती बाहर रोशनी
भीतर लिए खुद के अँधेरा ...

दोषी कौन है ?
क्या राजा
या प्रजा भी ,
दोनों ही दोषी और
दोनों ही ना माने ...

ना माने अगर दोष अपना
टूटेंगी फिर
ऐसे ही कई गुड़ियाँ
भग्न होती रहेंगी
ऐसे ही प्रतिमाएँ ....













17 comments:

  1. दोषी कौन है ?
    क्या राजा
    या प्रजा भी ,
    दोनों ही दोषी और
    दोनों ही ना माने ...
    ना माने अगर दोष अपना
    टूटेंगी फिर
    ऐसे ही कई गुड़ियाँ
    भग्न होती रहेंगी
    ऐसे ही प्रतिमाएँ .... ek kadwa sach

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  2. सही प्रहार किया है उपासना सखी ............सटीक ......

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  3. अंधेर नगरी चौपट राजा,"बे-पनाह अंधेरों को सुबह कैसे कह दूँ ,.....ये एक ज़लील-सी गाली से बेहतरीन नही
    (दुष्यंत

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  4. उम्दा प्रस्तुति

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  5. जिम्मेदारी सरकार से हमारी है,हम उसका कितना निर्वहन करते है ,,,

    RECENT POST: गर्मी की छुट्टी जब आये,

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  6. सचमुच अंधेर नगरी चौपट राजा .....

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  7. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल बुधवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
    सूचनार्थ...सादर।

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  8. सटीक और सार्थक रचना !!

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  9. सार्थक अभिव्यक्ति ....शब्दों और मन के भावों की

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  10. व्यवस्था पे कटाक्ष करती रचना ...

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  11. यथा राजा तथा प्रजा ....
    बहुत सटीक प्रस्तुति ...

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  12. बहुत सटीक अभिव्यक्ति...

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  13. Bahut hi Sachhi Abhivyakti.....

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  14. very nice post with great emotions

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  15. चाहे केंद्र की हो चाहे राज्य की सरकारें अपनी गोटियां जमाने में ही व्यस्त है किसी गुडिया को भग्न किया है और नग्न किया है उसे कोई लेना-देना नहीं। बस उन्हें चिंता है राजनीतिक भविष्य की। पर ध्यान देनेवाली बात है गुडिया और गुड्डा भी सरकारी है नहीं सरकार को पीडा, दुःख और चिंता नहीं होगी; असल चिंता और सुरक्षा करेंगे उनके माता-पिता तथा परिवार जन। बाकी कुछ नहीं, भलाई इसी में है कि अपनी सुरक्षा खुद करें। सरकारों, प्रशासन और पुलिस पर निर्भर रहेंगे तो हमें अपने घोडे बेचने पडेंगे। पैनी नजर की जरूरत है जो परिवार का सुरक्षा घेरा बनेगी।

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  16. सशक्त रचना, गहरे तक उतरती हुई
    उत्कृष्ट प्रस्तुति


    विचार कीं अपेक्षा
    jyoti-khare.blogspot.in
    कहाँ खड़ा है आज का मजदूर------?

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