चर्चा होगी
मेरे बारे में
कैसी थी मैं
क्या बोलती थी
सोचा क्या करती थी
ये तो पता नहीं भई
सर पर लट्टू नहीं लगे थे न
रोशनी वाले
जो मन का मीटर समझते
और जल जाते
मेरे जाने के बाद
ये भी चर्चा होगी
मैंने कैसे अंतिम सांस लिया
कितनी बार सांस अटका
कितनी बार सांस खींचा..
काश कि
मेरे जीते जी ही कोई
मेरी आँखो में झाँक कर
हाथों को थाम कर
पूछ लेता
कैसी हूँ मैं...
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" गुरुवार 18 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
ReplyDeleteयथार्थ को अभिव्यक्त करती सुन्दर सार्थक रचना
ReplyDeleteसुन्दर
ReplyDeleteवाह! बेहतरीन!
ReplyDeleteसही कहा...समाप्ति के बाद यहाँ चर्चे बहुत होते हैं ..जीते जी कोई सुध नहीं..
ReplyDeleteक्या बात है ..बहुत सही
ReplyDeleteपते की बात है महोदया! सुन्दर अभिव्यक्ति!
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसब जीते जी के मेले हैं और भीड़ में सभी अकेले हैं! खुद के संग जो रहे वही विजेता है!
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