स्त्री ने लिखा
विश्वास
बेटी कहलाई।
स्त्री ने लिखा
स्नेह
बहन कहलाई।
स्त्री ने लिखा
समर्पण
पत्नी कहलाई।
स्त्री ने लिखा
ममता
माँ कहलाई।
स्त्री ने लिखा
प्रेम !
तन गई
भृकुटियाँ,
उठ गई उंगलियाँ कई,
कुलटा कहलाई।
विश्वास
स्नेह
समर्पण
और ममता
प्रेम से इतर तो नहीं
फिर
स्त्री प्रेम में
क्यों कर
कुलटा कहलाई।
विश्वास
बेटी कहलाई।
स्त्री ने लिखा
स्नेह
बहन कहलाई।
स्त्री ने लिखा
समर्पण
पत्नी कहलाई।
स्त्री ने लिखा
ममता
माँ कहलाई।
स्त्री ने लिखा
प्रेम !
तन गई
भृकुटियाँ,
उठ गई उंगलियाँ कई,
कुलटा कहलाई।
विश्वास
स्नेह
समर्पण
और ममता
प्रेम से इतर तो नहीं
फिर
स्त्री प्रेम में
क्यों कर
कुलटा कहलाई।