मन फिर मचल गया
जरा मुड कर तो
देख कोई है शायद
अभी भी तेरे इंतज़ार में ...
नज़र आया
दूर तक वीराना ही
नज़र आया
दूर तक वीराना ही
कोई तो पुकारेगा
इस वीराने में ...
एक बार फिर
एक बार फिर
से तो मुड कर देख जरा
मन ...
मन ...
अब तू क्यूँ मचलता है
कौन है
जो तेरा इंतज़ार करे ,
जो तेरा इंतज़ार करे ,
तुझे पुकारे .....
तूने ही तो तोड़ डाले थे
सारे तार ,
सारे तार ,
अब कौनसी राह ढूंढता है ...
खिले फूलों
को तूने ही बिखराया था ,
को तूने ही बिखराया था ,
अब किस बहार का इंतज़ार है तुझे ...
अब तू क्यूँ मचलता है
मन
मन
किसको पुकारता है अब
इस वीराने में ........