प्रेम में बिछुड़ जाने वाले
अक्सर कहा करते हैं
नहीं याद करते हैं अब
उस बेफवा को
भुला दिया है हमने
कसम भी खाते है
अगर वो बेवफा मिल जाये कभी -कहीं
गुजर जायेंगे अजनबियों की तरह ...
कितनी भी कसम क्यूँ न खाई जाये
तलाशे जाते हैं वे सूखे फूल
जो डायरी में रखे थे कभी
उसी बेवफा ने दिए थे ....
जिस प्यार के रंग से रंगे थे
वो रंग इद्रधनुष में भी ढूंढा
करते हैं ...
अक्सर सागर किनारे की
लहरों में सीप ढूंढते हुए
अपना नाम भी तलाशते हैं
जहां अपना नाम लिखा था
साथ-साथ ..........
और कहते हैं भुला दिया है हमने उसको ,
तो नयनो में जो चमकता है
उसका नाम लेने पर वह क्या है ,
यह शायद वो भी नहीं जानते ......
पर वे एक दूसरे को भूल तो जाते
ही है ....
शायद .........