Wednesday, 30 May 2012

ये जिन्दगी ना मिलेगी दुबारा

हम सारी जिन्दगी

जीते रहे हर पल 


मर - मर के ..........


और 

,
औरों को नसीहतें 


देते रहे


ये जिन्दगी ना मिलेगी 


दुबारा ..............

Wednesday, 23 May 2012

ना जाने क्योँ

फूलोँ की सुंदर
महकती डगर पर
चलते - चलते
ना जाने क्योँ
वो टेढी - मेढी 
कंटीली पगडंडियाँ,
जिन पर कभी कदम
रखा ही नहीँ ,
याद आती है.....
चारोँ तरफ जब
बिखरी हुई है
अनमोल मणियां,

सीप मेँ बँद

एक मोती, जो 
कभी सीप से
बाहर निकला ही 
नहीँ था 
,जाने क्योँ याद
आती है....

Saturday, 19 May 2012

ਤੇਰਾ ਦੀਦਾਰ ( तेरा दीदार )

ये मेरी कविता है जिसे मैंने पहली बार पंजाबी में लिखा है ......

ਰੋਜ਼ ਸੇਵੇਰੇ ਇਕ ਆਸ ਦਾ 

ਸੂਰਜ ਲੈ ਕੇ ਉਠਦੀ ਹਾਂ

ਕੇ ਅਜ

 ਤਾਂ ਤੇਰਾ ਦੀਦਾਰ 

ਹੋਊਗਾ
 ....
ਸੂਰਜ ਦੇ ਨਾਲ -ਨਾਲ ਚਲਦੀ


ਪਿੰਘ੍ਲਦੀ ਰਹੰਦੀ ਹਾਂ ,ਇਕੋ ਹੀ 


ਆਸ ਲੈਕੇ ਤੇਰੇ ਦੀਦਾਰ ਦੀ 

....
ਸੂਰਜ ਦੇ ਡੁਬਨ ਨਾਲ ਵੀ ਮੇਰੀ


ਆਸ ਨਹੀ ਡੁਬਦੀ

 .....
ਚੰਦ ਦੀ ਉਡੀਕ ਨਹੀ ਮੈਨੂ 

,
ਮੈਂ ਤਾਂ ਤਾਰਿਯਾੰ ਚ ਵੀ ਤੇਰਾ 


ਅਕਸ ਤਲਾਸ਼ ਕਰਦੀ ਹਾਂ .

...
ਜਦੋਂ ਵੀ ਕੋਈ ਤਾਰਾ ਟੁਟਦਾ ਵੇਖਦੀ


ਹਾਂ ਤੋ ,
ਤੇਰੇ ਦੀਦਾਰ ਦੀ ਦੁਆ ਹੀ ਮੰਗਦੀ ਹਾਂ ,


ਏਕ ਟੁਟਦੇ ਤਾਰੇ ਨੁ ਵੇਖਣ ਦੀ


ਆਸ ਲਈ ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਤਾਰਿਯਾਂ ਨਾਲ
ਚਲਦੀ ਹਾਂ .......





________________
हर रोज़ 


एक आस का सूरज 

ले कर उठती हूँ के 

आज तो तेरा दीदार होगा 
...
सूरज के साथ -साथ


 चलती और पिघलती 

रहती हूँ ,


बस एक तेरे ही दीदार की 

आस लिए 
....
सूरज के डूबने के साथ भी 


मेरी आस नहीं डूबती ....

मुझे चाँद का भी इंतजार नहीं है !!

,
मैं तो तेरा ,


तारों में भी अक्स

 तलाश करती हूँ 

जब भी कोई तारा टूटता 

दिखाई देता है तो ,

तेरे दीदार की ही


 दुआ मांगती हूँ ..
.....
एक टूटते तारे को 


देखने की आस लिए 

सारी रात तारों के संग चलती हूँ ...

Friday, 18 May 2012

उनको ये शिकायत है

उनको यह शिकायत है कि 
 हम कुछ नहीं कहते ....
लेकिन  जब हम कुछ कहते है 
तो कहते के ये क्यूँ कहते हो ,
चुप हो जाने पर कहते है कि 
चुप क्यूँ रहते हो ...
उनको हमारी हर बात पर ही 
शिकायत है कि 
 हम क्या कहते है 
या क्यूँ नहीं कहते कुछ .....
और हमें उनकी इस  शिकायत 
 करने की आदत से ही 
शिकायत है ...



हौसलों को उडान


जब -जब मन हारा है तो कोई है,

जो अपना स्नेहिल  स्पर्श

सर पर सहला कर हौसला

बढ़ा देता है .......

और वह स्पर्श पाकर मेरा कुम्हलाया

हुआ मन फिर से लहलहा उठता  है .....

और फिर से ये लहलहाता मन

कल्पना के सहारे शब्दों की उडान

भरने लगता है ....

इस मन की उड़ान के परों को सहारा

देने वाला और कौन है ,

एक वही है ,जो हमें प्राण-वायु

दे कर जीवन देता है ....

और हौसलों को उडान भी ......

Wednesday, 16 May 2012

प्रेम करने वाले एक-दूसरे को भूल जाते हैं ....

प्रेम में बिछुड़ जाने वाले 
अक्सर कहा करते हैं 
 नहीं याद करते हैं  अब
उस बेफवा  को 
भुला दिया है हमने 


कसम  भी  खाते है 
अगर वो बेवफा मिल जाये कभी -कहीं 
 गुजर जायेंगे अजनबियों की तरह ...

कितनी भी कसम क्यूँ न खाई जाये 
तलाशे जाते हैं वे सूखे फूल 
जो डायरी में रखे थे कभी
उसी बेवफा ने  दिए थे ....

जिस प्यार के रंग से रंगे  थे 
वो रंग इद्रधनुष में भी ढूंढा 
करते हैं ...
अक्सर सागर किनारे की 
लहरों में सीप ढूंढते हुए 
अपना नाम भी तलाशते हैं 
जहां  अपना नाम लिखा था
 साथ-साथ ..........

और कहते हैं भुला दिया है हमने उसको ,
तो नयनो में जो चमकता है 
उसका नाम लेने पर वह  क्या है ,
यह  शायद वो भी नहीं जानते ......
पर वे  एक दूसरे  को भूल तो जाते 
ही है ....
 शायद .........

Sunday, 13 May 2012

प्यार और वक्त


प्यार और वक्त का 
बहुत गहरा रिश्ता होता है .
अगर किसी से  प्यार हो तो
 इज़हार करने में वक्त
 ना लगाओ , 
इस वक्त का क्या ,
यह  कल रहे ना रहे ....
पर ये प्यार कभी मरता 
भी नहीं कभी .
किसी का भी प्यार 
वक्त का  मुहताज  भी नहीं है .....

Wednesday, 9 May 2012

बात जरा सी है.......


बात जरा सी है और
 समझ नहीं आती ...
जब एक माँ अपनी 
बेटी को दुपट्टा में इज्ज़त 
 सँभालने का तरीका
 समझाती है ,
तो वह अपने बेटे को 
राह चलती किसी की 
बेटी की इज्ज़त करना 
क्यूँ नहीं सिखलाती ....

बात जरा सी है और
 समझ नहीं आती...
जब एक माँ अपने बेटे 
की हर चीज़ सहेज कर
 रखती है तो उसकी 
पत्नी ,जो बेटे को बहुत 
प्रिय होती है उसकी 
अनदेखी क्यूँ करती है .....

Monday, 7 May 2012

मुझे तुम याद आये


तुम्हारा नाम भूलने की
 बहुत सी वजह है मेरे पास 
पर जब -जब तुम्हारे 
शहर का नाम आया तो
मुझे तुम याद आये ...
तुम्हारा भी नाम भी
अपनी जुबां पर ना लाने
की बहुत सी वजह है
मेरे पास, पर जब-जब
तुम्हारा गाया गीत
गुनगुनाया तो मुझे
तुम याद आये ...
तुम्हारे वजूद को भूलने
की बहुत सी वजह है मेरे
पास पर जब-जब आईना
निहारा आँखों में तुम नज़र
आये तो मुझे तुम
बहुत याद आये ..............

Saturday, 5 May 2012

उसका इंतज़ार

सुबह-सवेरे ही जब उसका

ख़याल आता है तो मुख 


पर मुस्कान और डर 


एक साथ आ जाता है .

....
मुस्कान उसके आने के लिए 


और डर उसके इंतजार के लिए ..


हर आहट में चौंक जाती हूँ ,

आँखे दरवाजे पर बिछाये बैठी

रहती हूँ उसके दीदार की चाहत में ...


कभी कड़ी धूप में भी सूनी राह


ताकते हुए उसका इंतज़ार करती


रहती हूँ ..


......
इंतज़ार की घड़ियाँ जब खत्म होती


है और उसकी एक झलक दिख जाती


तो मेरा मन करता है उसको पूजा की


थाली दिखाऊं या फूलो का हार पहनाऊं ,


पर मैं तो झाड़ू ही उठा लाती हूँ


और उसको पकड़ाते हुए,जैसे मुहं में


जैसे मिश्री घुली हुई हो ,बोल पड़ती हूँ


जा जल्दी से झाड़ू लगा ,मैं कडक सी


चाय बनाती  हूँ तेरे लिए ......