उड़ जाओ
पर फैलाओ
टिका दो
आँखे आसमान पर
मत देखो
नीचे
धरा को
मत सोचो
धरा के
गुरुत्वाकर्षण को
टिकेंगे जितने
तुम्हारे पैर
उतनी ही मिलेगी
तुम्हें यह धरा
नहीं है ये धरा
तुम्हारे रहने के लिए
तुम हो सिर्फ
आसमान की ऊंचाइयों लिए
तलाश करो
अपने लिए
अपना एक नया आसमान
जहाँ हो,
तुम्हारे अपने ही
ग्रह -नक्षत्र
अपना ही एक सूरज
और और चाँद भी !
वहाँ
न चाँद को लगे ग्रहण
न ही सूरज को !
एक अपना
अलग ही ब्रह्माण्ड बना लो
जो हो तुम्हारा अपना ,
सिर्फ तुम्हारा !