Wednesday, 10 August 2016

सूरज/ चाँद का तुमसे कोई रिश्ता है क्या !

कसमें ली जाती हैं
हर रोज़
तुम्हें न देखने की
न मिलने की
और तुम्हें ना
सोचने की भी....

रोज़ की ली हुई
कसमें
टूट जाती है
या
तोड़ दी जाती हैं.....

सुबह सूरज के
 उगने पर,
रात को चाँद के
आ जाने पर......

सूरज/ चाँद का
तुमसे कोई रिश्ता है क्या !
कि कसम ही टूट
जाती है !


Tuesday, 2 August 2016

भेज दो उसी में से थोड़ा रंग


मन के  कैनवास की
तस्वीर के रंग
धुंधले हुए जाते हैं !

गडमगड हो गए हैं
वो सभी रंग,
 जो तुमने सजाए थे
तस्वीर बनाने में.....

कुछ खो गए,
कुछ धूमिल हो गए हैं
और
कुछ गुम हो गए हैं
तुम्हारी तरह ही
जो रंग दिए थे तुमने
संभाले रखने को....

मुझे याद है
कुछ रंग रह गया था
हथेलियों पर तुम्हारे भी...


तस्वीर अब
अगर बनेगी तो तुम्हारे ही रंगों से,

भेज दो उसी में से
थोड़ा रंग
अगर सहेज रखा हो तो ...