कसमें ली जाती हैं
हर रोज़
तुम्हें न देखने की
न मिलने की
और तुम्हें ना
सोचने की भी....
रोज़ की ली हुई
कसमें
टूट जाती है
या
तोड़ दी जाती हैं.....
सुबह सूरज के
उगने पर,
रात को चाँद के
आ जाने पर......
सूरज/ चाँद का
तुमसे कोई रिश्ता है क्या !
कि कसम ही टूट
जाती है !
हर रोज़
तुम्हें न देखने की
न मिलने की
और तुम्हें ना
सोचने की भी....
रोज़ की ली हुई
कसमें
टूट जाती है
या
तोड़ दी जाती हैं.....
सुबह सूरज के
उगने पर,
रात को चाँद के
आ जाने पर......
सूरज/ चाँद का
तुमसे कोई रिश्ता है क्या !
कि कसम ही टूट
जाती है !