Thursday, 17 June 2021

तुमने कहा था

तुमने कहा था
एक दिन
मुझे अपने दिल में 
 रखना
अगर न रख सको
जीवन की तंग, 
संकरी गलियों में... 

क्या तुम ज्योतिषी हो
या
हो भविष्य वक्ता , 
तुम्हारा स्थान 
सच में ही है 
दिल के तिकोने वाले
हिस्से में.. 

कितना अच्छा हुआ न
तुमने जो चाहा था
वही मिल गया... 

जीवन की तंग,
अकेलेपन की संकरी गली
मुझे मुबारक .. 



Friday, 16 April 2021

वह बन बैठा है रब जैसा

कोई है 

जो है 

अपना सा 

मगर 

है वह 

अनजाना सा ...

हर रोज 

पाती लिखी जाती है

उसे  ...


हर रोज

दुआ में हाथ उठते हैं 

 सलामती की 

 होती है 

एक दुआ 

उसके नाम की भी 


मगर 

जाना-अनजाना 

बेखबर है 

मगन है 

कहीं दूर 

बहुत ही दूर ...


थोड़ा बहरा भी है 

शायद 

नहीं सुनती 

उसे  

मंदिर की घंटियां

ह्रदय की पुकार ही ...


वह बन बैठा है 

रब जैसा ,

शायद 

नहीं यकीनन ही 

बन बैठा है 

रब जैसा ही ...


रब 

जैसे ही वह 

दिखाई देता है 

मगर 

सुनाई नहीं देता ,

सुनवाई भी नहीं करता !