सभी कुछ तो है
अपनी - अपनी जगह ,
सूरज
चाँद
सितारे
बादल !
फिर !
क्या खोया है !
हाँ !
कुछ तो खोया है।
या
सच में ही खो गया है !
कुछ पल थे
ख़ुशी के ,
पाये भी नहीं थे
कि
खो गए !
सपने से
दिखने वाले अब
दीखते हैं सपने में !
चमकते सितारों से
नज़र आते हैं बुझी राख से ....
खो गए हैं अब
वो स्वप्निल से पल !
अपनी - अपनी जगह ,
सूरज
चाँद
सितारे
बादल !
फिर !
क्या खोया है !
हाँ !
कुछ तो खोया है।
या
सच में ही खो गया है !
कुछ पल थे
ख़ुशी के ,
पाये भी नहीं थे
कि
खो गए !
सपने से
दिखने वाले अब
दीखते हैं सपने में !
चमकते सितारों से
नज़र आते हैं बुझी राख से ....
खो गए हैं अब
वो स्वप्निल से पल !