कहीं पढ़ा था कभी
किसी ने कहा था कहीं ,
ना जाने किसी के लिए
या खुद को समझाने के लिए ही
लिखा था उसने
ना जाने किसी के लिए ,
लिखा था उसने
मुहब्बत कभी एक तरफा
नहीं होती
तो मैंने भी यही जाना
हाँ !
मुहब्बत एक तरफा तो नहीं होती
कभी लेकिन
तुमने भी यही जाना है क्या !
यह मुहब्बत तो दोनों
तरफ ही होती है
एक मन से पुकार लगाता है तो
दूजा बैचेन
किसलिए हो उठता है
क्या तुमने भी यही जाना है कभी !
----उपासना सियाग
किसी ने कहा था कहीं ,
ना जाने किसी के लिए
या खुद को समझाने के लिए ही
लिखा था उसने
ना जाने किसी के लिए ,
लिखा था उसने
मुहब्बत कभी एक तरफा
नहीं होती
तो मैंने भी यही जाना
हाँ !
मुहब्बत एक तरफा तो नहीं होती
कभी लेकिन
तुमने भी यही जाना है क्या !
यह मुहब्बत तो दोनों
तरफ ही होती है
एक मन से पुकार लगाता है तो
दूजा बैचेन
किसलिए हो उठता है
क्या तुमने भी यही जाना है कभी !
----उपासना सियाग