कोई आँखों से दिल की
बात कहता रहा ,
और कोई पलके मूंदे
ख्वाब ही बुनता रहा ........
रहा अनजान उन आँखों की
बात कहता रहा ,
और कोई पलके मूंदे
ख्वाब ही बुनता रहा ........
रहा अनजान उन आँखों की
इबारत से ,
बस अपनी ही धुन में रहा
हो कर मगन .......
कोई पुकारता रहा आँखों से ,
अपने गीतों से ......
और कोई
सुर में ही खोया रहा ...
रहा अनजान उन प्रेम भरे
सुरों की सरगम से ,
अचानक ये सुर कैसे बदले
किसी के,
कोई
ऐसा क्या कह बैठा ,
और कोई क्या समझा गया.......
किसी की आँखों से
प्रेम के अश्रु
और मन प्रेम की सरगम में
बह निकला ....
बस अपनी ही धुन में रहा
हो कर मगन .......
कोई पुकारता रहा आँखों से ,
अपने गीतों से ......
और कोई
सुर में ही खोया रहा ...
रहा अनजान उन प्रेम भरे
सुरों की सरगम से ,
अचानक ये सुर कैसे बदले
किसी के,
कोई
ऐसा क्या कह बैठा ,
और कोई क्या समझा गया.......
किसी की आँखों से
प्रेम के अश्रु
और मन प्रेम की सरगम में
बह निकला ....
हट सुन्दर किसी की जान पर बनी है और कोई अनजान है
ReplyDeleteप्रेम के सरगम पर खूब शूरत अभिव्यक्ति,,,,वाह बहुत खूब,,,,
ReplyDeleteRECENT POST: तेरी फितरत के लोग,
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
ReplyDeleteबेहद सुन्दर और उम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर.......
ReplyDeleteसादर
अनु
Bht sahi likha upasna ji..wo bi sundarta se..
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