Tuesday, 9 October 2012

प्रेम की सरगम

कोई आँखों से दिल की
बात कहता रहा , 
और कोई पलके मूंदे 
ख्वाब ही बुनता रहा ........
रहा अनजान उन आँखों की 
इबारत से ,
बस अपनी ही धुन में रहा
हो कर मगन .......
कोई पुकारता रहा आँखों से ,
अपने गीतों से ......
और कोई
सुर में ही खोया रहा ...
रहा अनजान उन प्रेम भरे
सुरों की सरगम से ,
अचानक ये सुर कैसे बदले
किसी के,
कोई
ऐसा क्या कह बैठा ,
और कोई क्या समझा गया.......
किसी की आँखों से
प्रेम के अश्रु
और मन प्रेम की सरगम में
बह निकला ....


6 comments:

  1. हट सुन्दर किसी की जान पर बनी है और कोई अनजान है

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  2. प्रेम के सरगम पर खूब शूरत अभिव्यक्ति,,,,वाह बहुत खूब,,,,

    RECENT POST: तेरी फितरत के लोग,

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  3. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

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  4. बेहद सुन्दर और उम्दा अभिव्यक्ति

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  5. बहुत बहुत सुन्दर.......

    सादर
    अनु

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  6. Bht sahi likha upasna ji..wo bi sundarta se..

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