औरतें कभी भी और
किसी को भी
नहीं लगती अच्छी
जब वे मुस्कुराती है ,
हंसती है ,
या खिलखिलाती है ......
लेकिन वे फिर भी मुस्कुराती है ....
जब, बचपन में
उनका खिलौना छीन कर
किसी और को दे दिया
जाता है
या उनको कमतर आँका
जाता है .......
और जब
उनके बढ़ते कदमो को
बाँध लिया जाता लिया हो
या आसमान छूने की
तमन्ना के पर काट दिए जाते हों....
और
जब उनकी जड़ें एक आंगन
से दूसरे आंगन में रोप दी
जाती है ...चाहे
उस आँगन में उसे
गर्म हवाओं के थपेड़े ही
क्यों न सहन करना पड़े...
तब भी वे मुस्कुराती ही है
क्यूंकि
उन्हें पता है उनके आंसूं जब
निकलेंगे तो
एक सैलाब जैसा ही कुछ
आ जाएगा इस धरा पर ......
अपने इन आंसुओं को
अपनी आँखों में ही छुपा कर
बस मुस्कुराती है ,
खिलखिलाती है .....
क्यूंकि नहीं अच्छी लगती
औरते कभी भी
मुस्कुराती हुई ..........
or unki jade ek aangan se doosre aangan main rop di jaati hain ..........................udas kar gyi kavita ....................bahut khoob likha aapne
ReplyDeleteबहुत उम्दा प्रस्तुति,,,
ReplyDeleteदुर्गा अष्टमी की आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें *
RECENT POST : ऐ माता तेरे बेटे हम
लेकिन यह भी सच है की रोती हुयी औरतें भी अच्छी नहीं लगतीं ... गहन अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत पहले टिप्पणी में लिखा था कही " रोती हुई स्त्रियों को कंधे देने वालों के माथे पर बल पड़ जाते हैं जब देखते हैं हंसती हुई स्त्रियाँ "
ReplyDeleteमगर वे हंसती रहे , मुस्कुराती रहें !
असहमत......मुझे तो हस्ती और मुस्कुराती हुई ही अच्छी लगती है चाहें वो मेरी माँ हो या बहनें या सहेली :-))
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत प्रस्तुति..सभी यूँ ही हँसती रहे मुस्काती रहे.आभार..
ReplyDeleteसुंदर रचना
ReplyDeleteमुस्कान ही उनकी ताकत और दूसरों का भय है
ReplyDeleteसन्देश पहुंचाती मनोभाव को व्यक्त कराती लाइन .लेकिन धारणा बदलिए .औरत सदा महान है
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति, बहुत खूब .....आभार
ReplyDeleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति... आभार
ReplyDeleteBahut sunder Mansthithi..
ReplyDeleteविजयादशमी की हादिक शुभकामनाये,,,
ReplyDeleteRECENT POST...: विजयादशमी,,,