ਮੈਂ ਤੇੰਨੁ ਪੁਕਾਰਦੀ ਰਵਾਂਗੀ ........
ਪਰ ਕਦੋਂ ਤਕ ...!
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਦਾ
ਤੂੰ ਜਵਾਬ ਨਹੀ ਦਿੰਦਾ
ਜਦੋਂ ਤਕ...!
ਇਹ ਮੇੰਨੁ ਪਤਾ ਹੈ ,
ਮੈਂ ਜਾਣਦੀ ਵੀ ਹਾਂ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਤੂ ਸੁਣਦਾ ਹੈ
ਇਹ ਦੀਵਾਰਾਂ ਤਕ ਹੀ
ਨਹੀ ਟਕਰਾਉਂਦੀ ,
ਤੇਰੇ ਦਿਲ ਦੀ ਦੀਵਾਰਾਂ
ਨੂੰ ਵੀ ਚੀਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ .........
ਮੈਨੂ ਇਹ ਗਲ ਵੀ ਪਤਾ ਹੈ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ
ਤੂ ਅਣਸੁਣੀ ਵੀ ਨਹੀ ਕਰਦਾ
ਤੂ ਵੀ ਮੈਨੂ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਮੈਨੂੰ ਹੀ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ ..........
ਇਹ ਪੁਕਾਰ ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਮੈਨੂ
ਰਾਤ ਦੇ ਸੁਨਸਾਨ ਅੰਧੇਰਿਯਾਂ ਚ
ਤੇਰੀ ਇਹ ਪੁਕਾਰ ਮੈਨੂੰ
ਸੋਣ ਨਹੀ ਦਿੰਦੀ
ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਅਖਾਂ ਚ ਗੁਜਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ .....
ਦਿਲ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਪੁਕਾਰ
ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਲਬ ਖਾਮੋਸ਼ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹੈ ....
ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਵੀ ਆਵੇਗਾ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਸੁਣ -ਸੁਣ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਵੀ ਟੂਟੇਗਾ ................
--------------------------------------------------------------------------
( हिंदी में अनुवाद )
मैं तुझे पुकारती रहूंगी
पर कब तक ...!
मेरी पुकार का तू जवाब
नहीं देता
तब तक ...!
यह तो मुझे भी पता है
मैं भी जानती हूँ
मेरी पुकार तू सुनता है
यह दीवारों से ही नहीं टकराती
तेरे दिल की दीवारों को
भी चीर देती है .....
मुझे यह भी पता है
तू मेरी पुकार अनसुनी भी नहीं करता
तू भी मुझे पुकारता है
तेरा मौन मुझे पुकारता है ....
यह पुकार सुनती है
मुझे
रात के सुनसान अंधेरो में
तेरी यह पुकार
मुझे सोने नहीं देती
सारी रात आखों में ही
गुज़र जाती है .......
दिल को दिल की पुकार
सुनती है
लब खामोश ही रहते हैं ........
एक दिन वह भी आएगा
मेरी पुकार सुन -सुन कर
तेरा मौन भी टूटेगा .......
ਤੂ ਵੀ ਮੈਨੂ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਮੈਨੂੰ ਹੀ ਪੁਕਾਰਦਾ ਹੈ ..........
ਇਹ ਪੁਕਾਰ ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਮੈਨੂ
ਰਾਤ ਦੇ ਸੁਨਸਾਨ ਅੰਧੇਰਿਯਾਂ ਚ
ਤੇਰੀ ਇਹ ਪੁਕਾਰ ਮੈਨੂੰ
ਸੋਣ ਨਹੀ ਦਿੰਦੀ
ਸਾਰੀ ਰਾਤ ਅਖਾਂ ਚ ਗੁਜਰ ਜਾਂਦੀ ਹੈ .....
ਦਿਲ ਨੂੰ ਦਿਲ ਦੀ ਪੁਕਾਰ
ਸੁਣਦੀ ਹੈ
ਲਬ ਖਾਮੋਸ਼ ਹੀ ਰਹਿੰਦੇ ਹੈ ....
ਇਕ ਦਿਨ ਉਹ ਵੀ ਆਵੇਗਾ
ਮੇਰੀ ਪੁਕਾਰ ਸੁਣ -ਸੁਣ
ਤੇਰਾ ਮੋਨ ਵੀ ਟੂਟੇਗਾ ................
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( हिंदी में अनुवाद )
मैं तुझे पुकारती रहूंगी
पर कब तक ...!
मेरी पुकार का तू जवाब
नहीं देता
तब तक ...!
यह तो मुझे भी पता है
मैं भी जानती हूँ
मेरी पुकार तू सुनता है
यह दीवारों से ही नहीं टकराती
तेरे दिल की दीवारों को
भी चीर देती है .....
मुझे यह भी पता है
तू मेरी पुकार अनसुनी भी नहीं करता
तू भी मुझे पुकारता है
तेरा मौन मुझे पुकारता है ....
यह पुकार सुनती है
मुझे
रात के सुनसान अंधेरो में
तेरी यह पुकार
मुझे सोने नहीं देती
सारी रात आखों में ही
गुज़र जाती है .......
दिल को दिल की पुकार
सुनती है
लब खामोश ही रहते हैं ........
एक दिन वह भी आएगा
मेरी पुकार सुन -सुन कर
तेरा मौन भी टूटेगा .......
kya bat hai upasna bahut achcha likha hai
ReplyDeleteबहुत -बहुत शुक्रिया जी
Deletekab tak moun ki bhasha sannato mei gunjegi ........... pukar to suni jayegi ... bahut hi achcha likha hain
ReplyDeleteपुकार से निश्चित ही एक दिन मौन टूटेगा,,,लाजबाब प्रस्तुति,,,
ReplyDeleterecent post : बस्तर-बाला,,,
सही कहा आपने ......बहुत -बहुत शुक्रिया जी
DeleteTera maun ..mainu hi pukaarda hai.
ReplyDelete..
Khoobsurat khamoshi..
bahot khoob'
बहुत -बहुत शुक्रिया जी
Deleteकिसी के मौन से किसी पुकार ओजस्वी हो उठती है
ReplyDeleteऔर
कहीं किसी के लिए पुकार का प्रतिउत्तर मौन की भाषा से ही संभव हो पाता है .....
फिर भी ओजस्वी पुकार की ये Blackmailing/जबर्दस्ती मौन को बहुत टक्कर मारती है, क्या होगा बेचारे मौनी का ..... !
बहुत आभार आपका इस रचना को देखने - पढने के लिए ......जहाँ तक मौनी का सवाल है तो उसे मौन ही रहने दीजिये ...वह तब ही अपना मौन तोड़ेगा , जब पुकारने वाला ही नहीं रहेगा ....
Deleteव्यक्ति(मौनी हो या पुकारने वाला) के खत्म होने पर अवस्था (मौन की या पुकार की) खत्म नहीं होती .....मौन की या पुकार की गूंज बनी ही रहती है .... , हाँ कभी परिवर्तन भी संभव होता है ...., मौनी का पुकारने वाले मे और पुकारने वाले का मौनी मे .....
Deleteफिर भी इस अवस्था के लिए चुने जाने वाले तो विरले ही होते हैं ......
जी अच्छा ...आप कहते तो मान लिया मैंने , क्यूंकि मुझे गूढ़ दर्शन कम ही समझ आता है सीधी और सिम्पल बात ही करती हूँ .........आप का आभार इतनी अमुल्य टिप्पणी के लिए ....
Deleteबहुत -बहुत शुक्रिया जी
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