सरहद पर जब भी
युद्ध का बिगुल बजता है
मेरे हाथ प्रार्थना के लिए
जुड़ जाते हैं
दुआ के लिए भी उठ जाते हैं
सीने पर क्रोस भी बनाने
लग जाती हूँ ......
मेरे मन में बस होती है
एक ही बात
सलामत रहे मेरा अपना
जो सरहद पर गया है ,
लौट आये वह फिर से
यही दुआ होती है मेरे मन में ....
मैं कौन हूँ उसकी ...!
कोई भी हो सकती हूँ
एक माँ
बहन ,पत्नी
या बेटी
'उसकी' जो सरहद पर गया है ......
इससे भी क्या फर्क पड़ता है
मैं कहाँ रहती हूँ
सरहद के इस पार हूँ या
उस पार ......
दर्द तो एक जैसा ही है मेरा
भावना भी एक जैसी ही है .......
हूँ तो एक औरत ही न ...!
युद्ध का बिगुल बजता है
मेरे हाथ प्रार्थना के लिए
जुड़ जाते हैं
दुआ के लिए भी उठ जाते हैं
सीने पर क्रोस भी बनाने
लग जाती हूँ ......
मेरे मन में बस होती है
एक ही बात
सलामत रहे मेरा अपना
जो सरहद पर गया है ,
लौट आये वह फिर से
यही दुआ होती है मेरे मन में ....
मैं कौन हूँ उसकी ...!
कोई भी हो सकती हूँ
एक माँ
बहन ,पत्नी
या बेटी
'उसकी' जो सरहद पर गया है ......
इससे भी क्या फर्क पड़ता है
मैं कहाँ रहती हूँ
सरहद के इस पार हूँ या
उस पार ......
दर्द तो एक जैसा ही है मेरा
भावना भी एक जैसी ही है .......
हूँ तो एक औरत ही न ...!
माँ की दुआ कभी बेअसर न हो - यही दुआ है
ReplyDeleteबहुत -बहुत शुक्रिया रश्मि जी ..
Deleteदुआए कभी बेकार नहीं जाती,,,,अगर दिल से की जाए,,,
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति,,,,
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
recent post: गुलामी का असर,,,
बहुत -बहुत शुक्रिया धीरेन्द्र जी ....आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteमन से की दुआमें बहुत ताकत होती है ...जरुर पूरी हो..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाए,,,
ReplyDeleteबहुत -बहुत शुक्रिया महेश्वरी जी ....आपको भी गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
Deleteबहुत बढ़िया पंक्तियाँ....
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं....
मोनिका जी आपका हार्दिक धन्यवाद
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteवन्देमातरम् !
गणतन्त्र दिवस की शुभकामनाएँ!
आपका हार्दिक धन्यवाद
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