अक्सर लोग एक 'कल ' के
इंतज़ार में
जिन्दगी ही गुज़ार देते हैं
कल कभी आया भी है क्या ,
इंतजार ,
इंतज़ार में
जिन्दगी ही गुज़ार देते हैं
कल कभी आया भी है क्या ,
इंतजार ,
इंतज़ार और
बस इंतज़ार
के सिवा हासिल ही
क्या हुआ किसी को .......
पर मुझे नहीं है ,
किसी भी
'कल' का इंतज़ार .......
मुझे इंतज़ार है ,
' आज ' का
कल का क्या भरोसा
सूरज तो उगे पर
मैं देखने को हूँ भी
या नहीं ...............
ऐसे कल का क्या
फायदा ,
जिसके आने के इंतजार
में एक उम्र ही तमाम
हो जाये ........
बस इंतज़ार
के सिवा हासिल ही
क्या हुआ किसी को .......
पर मुझे नहीं है ,
किसी भी
'कल' का इंतज़ार .......
मुझे इंतज़ार है ,
' आज ' का
कल का क्या भरोसा
सूरज तो उगे पर
मैं देखने को हूँ भी
या नहीं ...............
ऐसे कल का क्या
फायदा ,
जिसके आने के इंतजार
में एक उम्र ही तमाम
हो जाये ........
सुनहरे कल के लिए ,
मुझे , वह 'आज '
नहीं जीना जिसमे
मुझे तिल-तिल कर
ही मरना हो ......
मुझे इंतज़ार है उस
'सुनहरे आज '
का .....मुझे , वह 'आज '
नहीं जीना जिसमे
मुझे तिल-तिल कर
ही मरना हो ......
मुझे इंतज़ार है उस
'सुनहरे आज '
आज को सुनहरा बनाने के दर्शन को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है. आपकी कविता उसी दिशा में जाती है. बहुत सुंदर.
ReplyDeleteमुझे इंतज़ार है उस
ReplyDelete'सुनहरे आज '
का .....बहुत सुंदर रचना
RECENT POST -मेरे सपनो का भारत
आज ही सच है ..... सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना ...............मुझे इंतज़ार है उस
ReplyDelete'सुनहरे आज '
का .....
ReplyDeleteवाह बहुत खूबसूरत अहसास हर लफ्ज़ में आपने भावों की बहुत गहरी अभिव्यक्ति देने का प्रयास किया है... बधाई आपको... सादर वन्दे...
बहुत बढ़िया लिखा है.... शब्दों को इतना बढ़िया पिरोया है कि पढ़ के मजा आ गया......
ReplyDeleteमाननीय कभी पधारो म्यारे ब्लॉग...
आज ही सब कुछ है
ReplyDeleteइस आज के हर पल को जीना है
कल अपने आप सुन्दर होगा...
बहुत सुन्दर रचना....
:-)