Tuesday, 21 August 2012

मायका

मायके से विदाई की बेला के
 साथ -साथ मन और आँखों
 का एक साथ भरना और 
एक -एक करके बिखरा सामान
 सहेजना .........
बिखरे सामान को सहेजते हुए हर
 जगह-कोने में ,अपना एक वजूद 
भी नज़र आया,
 जो बरसों उस घर में जिया था ..........
कुछ खिलौने ,कुछ पेन -पेंसिलें ,
कुछ डायरियां और वो दुपट्टा भी 
जो माँ ने पहली बार सँभालने को
 दिया था ..........
कुछ माँ की नसीहते और पापा की
 हिदायतें भी .................
टांड पर उचक कर देखा तो एक 
ऊन का छोटा सा गोला लुढक आया 
साथ में दो सींख से बनी सिलाइयां 
भी ,
जिस पर कुछ बुना  हुआ था एक नन्हा
 ख्वाब जैसा ,उलटे पर उलटा और
 सीधे पर सीधा...........
अब तो जिन्दगी की उधेड़-बुन में 
उलटे पर सीधा और सीधे पर उल्टा ही 
बुना जाता है ...........
कुछ देर बिखरे वजूद को समेटने की
 कोशिश में ऐसे ही खड़ी रही.......
 पर  कुछ भी समेट ना सकी और 
दो बुँदे आँखों से ढलक पड़ी ............

30 comments:

  1. खूबसूरती से लिखे खयाल ... मायके में आज भी वजूद की तलाश रहती है ।

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  2. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ... बेहतरीन प्रस्‍तुति।

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  3. जब तक माँ है वहां मायका है, उसके बाद न मायका होता है, न वजूद के नामोंनिशां... बस याद आती है और दो बूँदें आँखों से ढलक पड़ती हैं... भावुक करती रचना

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  4. बहुत ही सुंदर ....अंदर तक छू गयी ....आंसू धूलक पड़े .....

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  5. जब-तक माँ है मायका,भूल गए सब वादे
    अब सिर्फ बजूद बचा है,शेष रह गई यादे,,,,,

    लाजबाब अहसासों की अभिव्यक्ति,,,,बधाई,,,, उपासना जी,,,

    RECENT POST ...: जिला अनूपपुर अपना,,,
    RECENT POST ...: प्यार का सपना,,,,


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  6. कुछ देर बिखरे वजूद को समेटने की
    कोशिश में ऐसे ही खड़ी रही.......
    पर कुछ भी समेट ना सकी और
    दो बुँदे आँखों से ढलक पड़ी

    आपने आँखें गीली कर दीं मन को भिगोने वाली

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  7. मर्मस्पर्शी .... हर स्त्री के मन के भाव ....

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  8. very emotional and deep writeup!!

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  9. नारी की अवशता को ,व्यतीत न होते अतीत को, और काटते कुरेदते चुभते असंगत वर्तमान को एक साथ अपने लिबास में लपेटे है वो चाहो तो कविता कह लो है ये बन गई है एक साधारणीकरण ,एक भाव विरेचन ,एक मुक्ति स्व : से स्व : की .अब मैं अलग हूँ और तू अलग ,मैं आज हूँ ,तू कल थी ,तेरा मेरा साथ कैसा ,ये खटराग कैसा .बहुत सशक्त रचना आईं हैं इस मर्तबा पुरानी नै हलचल आई है .

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    1. bahut -bahut shukriya virendra ji ...aapke in shabdon ne mujhe bahut housla diya hai ...

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  10. बहुत सुन्दर रचना मायके कि याद दिलाती हुई

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  11. लाख सहेजो ...निकल ही पड़ते हैं ' दो आंसू '
    भावपूर्ण अभिव्यक्ति

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  12. अंदर तक छू गयी आप की रचना , उपासना....बहुत ही सुंदर ...

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    1. bahut -bahut shukriya mahashwari kaneri.......

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  13. बहुत सुन्दर..मन को छु लेनेवाली रचना...
    :-)

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  14. बहुत सुन्दर कोमल भाव ...
    मायके कि याद दिलाती हुई सुंदर प्रस्तुति!

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  15. main aapki bahut aabhari hun sangeeta ji

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  16. शायद यह बूँद हर लड़की की आँखों में से ढलकती है जिसे हम अक्सार देख, समझ नहीं पाते ...
    मंगल कामनाएं !

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