Wednesday, 4 April 2012

हम


वो कहते है कि

 हम रोये ही नहीं 

पलकों के किनारे 

भिगोए ही नहीं ...


उनको पलकों में 

छुपा रखा कर था ,

कहीं आंसुओं के साथ 

वो  भी -ना बह जाये 

इसीलिए हम

 रोये ही नहीं .......


वो कहते है कि

 किसको देखते हो

 ख्वाबों  में ...


 हम उन्हें क्या बताएं 

 ये नयन कब से

 खुले है उनके 

इंतज़ार में 

हम तो एक उम्र से 

सोये ही नहीं .........

2 comments:

  1. वाह ! बहुत सुन्दर..आँखें खुली रहे तेरे इंतज़ार में...

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