वो कहते है कि
हम रोये ही नहीं
हम रोये ही नहीं
पलकों के किनारे
भिगोए ही नहीं ...
भिगोए ही नहीं ...
उनको पलकों में
छुपा रखा कर था ,
छुपा रखा कर था ,
कहीं आंसुओं के साथ
वो भी -ना बह जाये
इसीलिए हम
रोये ही नहीं .......
वो भी -ना बह जाये
इसीलिए हम
रोये ही नहीं .......
वो कहते है कि
किसको देखते हो
ख्वाबों में ...
हम उन्हें क्या बताएं
ये नयन कब से
खुले है उनके
इंतज़ार में
हम तो एक उम्र से
सोये ही नहीं .........
सोये ही नहीं .........
वाह ! बहुत सुन्दर..आँखें खुली रहे तेरे इंतज़ार में...
ReplyDeleteBahut sunder ........
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