एक लोकतंत्र चलता है
मेरे घर में भी
,
यहाँ भी राज अम्माजी का
और नाम पिता जी का चलता है ...
मैंने अपने उनको
चुन कर
अपने सर पर बैठा रखा है
बच्चे भी
विपक्ष की भूमिका खूब
निभाते हैं,
बार -बार बॉय -काट
की धमकी देते है !
..........
और मैं !
बेचारी जनता की तरह
कुछ शंकित -आशंकित
थोड़ी भ्रमित सी
,
कभी अन्ना की तरह
अनशन करती
डोलती रहती हूँ
,
पक्ष -विपक्ष के बीच में !
लेकिन
मेरे इस लोक तंत्र में
खुशियाँ ही खुशियाँ है ,
हंसी और खिलखिलाहटे भी है !
.................
किये गए सभी वायदे
पूरे किये जाते है
यहाँ जनता से ,
और विपक्ष भी सत्ता
के आगे सर झुकाए रहता है !
...........
यहाँ फायदा नहीं उठाता
कोई किसी का
मेरे इस लोक तंत्र में राज
जनता का ही
चलता है !
मेरे घर में भी
,
यहाँ भी राज अम्माजी का
और नाम पिता जी का चलता है ...
मैंने अपने उनको
चुन कर
अपने सर पर बैठा रखा है
बच्चे भी
विपक्ष की भूमिका खूब
निभाते हैं,
बार -बार बॉय -काट
की धमकी देते है !
..........
और मैं !
बेचारी जनता की तरह
कुछ शंकित -आशंकित
थोड़ी भ्रमित सी
,
कभी अन्ना की तरह
अनशन करती
डोलती रहती हूँ
,
पक्ष -विपक्ष के बीच में !
लेकिन
मेरे इस लोक तंत्र में
खुशियाँ ही खुशियाँ है ,
हंसी और खिलखिलाहटे भी है !
.................
किये गए सभी वायदे
पूरे किये जाते है
यहाँ जनता से ,
और विपक्ष भी सत्ता
के आगे सर झुकाए रहता है !
...........
यहाँ फायदा नहीं उठाता
कोई किसी का
मेरे इस लोक तंत्र में राज
जनता का ही
चलता है !
कल 03/03/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
लोकतंत्र का सही नक्शा खींच दिया है. बढ़िया व्यंग.
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी रचना ....बिकुल नया एक्सप्रेशन..नए बिम्ब!
ReplyDeleteलोकतंत्र घर घर का! लाजवाब👌
ReplyDeleteबेहद सुंदर
ReplyDeleteलोकतंत्र को बखूबी लिखा है ... व्यंगात्मक भाषा की बेहतरीन अभिव्यक्ति ...
ReplyDelete😄😄😄😄ये तो मेरे लोकतंत्र की भी कहानी है जी 😄🙏
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