मन की उड़ान
रोके से नहीं रूकती
मुझसे तो
सामने मत
आया करो
शिकायत है अगर
तुमको तो
गुम हुयी
पगडंडियों पर
क़दमों की रफ़्तार
रोके नहीं रुकती
मुझसे तो
राह में ना
मिला करो
शिकायत है अगर
तुमको तो..
रोके से नहीं रूकती
मुझसे तो
सामने मत
आया करो
शिकायत है अगर
तुमको तो
गुम हुयी
पगडंडियों पर
क़दमों की रफ़्तार
रोके नहीं रुकती
मुझसे तो
राह में ना
मिला करो
शिकायत है अगर
तुमको तो..
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (11-09-2016) को "प्रयोग बढ़ा है हिंदी का, लेकिन..." (चर्चा अंक-2462) पर भी होगी।
ReplyDelete--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" रविवार 11 सितम्बर 2016 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteबहुत खूब ... राह में आओगे तो टकराओगे ...
ReplyDeleteबिलकुल सटीक...
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