पानी में पानी का रंग
तलाशना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
ख़ुशी में ग़म
तलाशना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
ऊँची पहाड़ियों पर
घाटियों को निहारना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
इन्द्रधनुष के रंगों पर
काली लकीर खींचना
जता देना है कि
मौन उदास हूँ।
कहते हुए शब्दों पर
लगा कर पूर्णविराम।
चुप हो जाना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
तलाशना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
ख़ुशी में ग़म
तलाशना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
ऊँची पहाड़ियों पर
घाटियों को निहारना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
इन्द्रधनुष के रंगों पर
काली लकीर खींचना
जता देना है कि
मौन उदास हूँ।
कहते हुए शब्दों पर
लगा कर पूर्णविराम।
चुप हो जाना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
बढ़िया लेखन व बेहतरीन रचना , उपासना जी धन्यवाद !
ReplyDeleteI.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
वाह ! बहुत सुन्दर !
ReplyDeleteNew post मोदी सरकार की प्रथामिकता क्या है ?
new post ग्रीष्म ऋतू !
इस उदासी के सबब को बाखूबी बयाँ किया है ...
ReplyDeleteऔर मेरे पूछने पर भी कोई उत्तर न देना जता देगा कि तुम उदास हो । बहुत खूब बयाँ उपासना जी
ReplyDeleteऔर मेरे पूछने पर भी कोई उत्तर न देना जता देगा कि तुम उदास हो । बहुत खूब बयाँ उपासना जी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
आपकी इस' प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (02-06-2014) को ""स्नेह के ये सारे शब्द" (चर्चा मंच 1631) पर भी होगी!
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
मै उदास हूँ ... बहुत सुन्दर
ReplyDeleteख़ुशी में ग़म
ReplyDeleteतलाशना
जता देना है कि
मैं उदास हूँ।
सुन्दर रचना सुन्दर अभिव्यक्ति
और कविताओं के ज़रिये बेचैनियों का बहार आना...जता देता है कि मैं उदास हूँ। सुंदर रचना...
ReplyDeleteनमन
ReplyDeleteSunder rachna...
ReplyDeleteUDASI KO KITNI KHUBSURATI SE SHABDON KA JAMA PAHNAYA....
ReplyDeleteKarna kuch ho jaaana kuch...jta hi deta hai udaasi... Sunder rachna..
ReplyDeleteबेहद मर्म स्पर्शी
ReplyDelete