ਭਾਵੇਂ ਤੁੰ ਚੁਪ ਰਹਿ
ਕੁਝ ਨਾ ਬੋਲ
ਮੈਂ ਤੇਰੀ ਚੁੱਪੀ ਨੁੰ ਵੀ
ਸੁਣ ਲੇਂਦੀ ਹਾਂ ...
ਕਿਵੇਂ ...!
ਏ ਰਾਜ਼ ਤੁੰ ਨਹੀ ਜਾਣ ਸਕਦਾ ,
ਕਿਉਂਕਿ
ਮੈਂ ਵੀ ਹਾਲੇ ਤਕ
ਇਹ ਰਾਜ਼ ਨਹੀ ਸਮਝੀ ...
ਪਰ ਤੈਂਨੂੰ ਤਾਂ ਮੈਂ ਸਮਝ
ਹੀ ਗਈ ਹਾਂ
ਚੁਪ ਬੂਲੀਆਂ ਚ ਕੁਝ ਨਾ
ਬੋਲ ਕੇ ਵੀ
ਸਬ ਕੁਝ ਸਮਝਾ ਦੇਣਾ
ਇਹ ਤੇਰੀ ਆਦਤ
ਪੁਰਾਣੀ ਹੈ ...
ਅੱਜ ਵੀ ਤੁੰ ਬਿਨਾ ਬੋਲੇ
ਚਲਾ ਗਿਆ
ਤਾਂ ਕਿ ਮੈਂ ਅਣਸੁਣੀ ਰਹਿ ਗਈ
ਤੇਰੀ ਗੱਲਾਂ ,
ਤੇਰੀ ਹਰ ਸਾਂਸ ਮੈਂਨੂੰ ਹੀ
ਵਾਜਾਂ ਮਾਰਦੀ ਹੈ
ਭਾਵੇਂ ਤੁੰ ਕੁਝ ਨਾ ਬੋਲੇ ...
..........................................................................................................
चाहे तू चुप रहे
कुछ ना बोले
तेरी चुप्पी को भी मैं
सुन लेती हूँ ...
कैसे ...!
ये राज़ तूं नहीं जान सकता
क्यूंकि
मैं भी अभी तक
यह राज़ नहीं समझी ...
पर तुझे तो मैं समझ ही
गई हूँ
चुप होठों से
कुछ ना बोल कर भी
सब कुछ समझा देना
यह तेरी पुरानी
आदत है ...
आज भी तू बिन बोले
चला गया
तो क्या मैं अनसुनी रह गए
तेरी बातें ,
तेरी हर साँस मुझे ही
आवाजें देती है
चाहे तू कुछ न बोले ...
( चित्र गूगल से साभार )
कुछ अनकहे से अहसास ....बहुत खूब
ReplyDeleteख़ामोशी की भी आवाज निराली होती है
ReplyDeleteबेहतरीन भावों की अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर.अहसास.
ReplyDeleteअपनेपन के खूबशूरत अहसास को बखूबी सजाया है ***सांसों की धडकन को पढ़ती कविता
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (26-05-2013) के चर्चा मंच 1256 पर लिंक की गई है कृपया पधारें. सूचनार्थ
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ReplyDeleteबहुत बेहतरीन,सुंदर अहसासों से सजी रचना ,,
DeleteRECENT POST : बेटियाँ,
कभी मौन भी बहुत-कुछ व्यक्त कर देता है !
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ReplyDeleteशब्दों से ज्यादा मौन बाचाल होता है और उस से ज्यादा अहसास!
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: बादल तू जल्दी आना रे!
latest postअनुभूति : विविधा
अभिव्यक्ति के लिए शब्द ही आवश्यक नहीं
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteतौलिया और रूमाल
इतना भरोसा है तो फिर लवों को खुलने की जरूरत ही कहाँ है ..आपने आँखें पढ़ना सीख लिया ..बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
ReplyDeleteजिस तरह हर मुलाक़ात का अंजाम जुदाई है , उसी तरह हर बातचीत, संवाद, communication, संप्रेषण का अंजाम मौन ही होता है .......
ReplyDeleteजो मौन के द्वारा संवाद कर सकता हो और जो मौन को पढ़/समझ सकता हो तो इससे बेहतर और कुछ नहीं .......
आपकी इस सुंदर अभिव्यक्ति पर बहुत सी शुभकामनायें !