ना जाने कितने पल
कितने दिन
कितने बरस
कितने युग
शायद सदियां भी
तेरे इंतज़ार में अब काटनी है
धुंधलाने लगी है
नज़रे मेरी अब ,
लेकिन
ना जाने ये आस क्यूँ नहीं
टूटी मेरी अब तक
एक पल को लगता है
तू मेरे सामने ही है ,
भ्रम ये कितना सुहाना है
इसी भ्रम के एक पल में
ना जाने कितने
जन्म जी जाती हूँ एक साथ
यही भ्रम
मेरी आस को टूटने नहीं देती
अब भी तेरा इंतज़ार है
और अब
जाने कितने
जन्म भी
तेरे इंतज़ार में काटने है
कितने दिन
कितने बरस
कितने युग
शायद सदियां भी
तेरे इंतज़ार में अब काटनी है
धुंधलाने लगी है
नज़रे मेरी अब ,
लेकिन
ना जाने ये आस क्यूँ नहीं
टूटी मेरी अब तक
एक पल को लगता है
तू मेरे सामने ही है ,
भ्रम ये कितना सुहाना है
इसी भ्रम के एक पल में
ना जाने कितने
जन्म जी जाती हूँ एक साथ
यही भ्रम
मेरी आस को टूटने नहीं देती
अब भी तेरा इंतज़ार है
और अब
जाने कितने
जन्म भी
तेरे इंतज़ार में काटने है
सच, जीवन के लिए कुछ भ्रमों का बने रहना बहुत ज़रूरी है...!
ReplyDeleteसुन्दर कविता!
सटीक
ReplyDeleteनया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |
नई पोस्ट नया वर्ष !
नई पोस्ट मिशन मून
बहुत बढ़िया प्रस्तुति...आप को और सभी ब्लॉगर-मित्रों को मेरी ओर से नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं...
ReplyDeleteनयी पोस्ट@एक प्यार भरा नग़मा:-तुमसे कोई गिला नहीं है
बहुत सुन्दर , नव वर्ष २०१४ की शुभकामनाएं
ReplyDeleteनया प्रकाशन -; जय हो विजय हो , नव वर्ष मंगलमय हो