मत रह
इतना खामोश
कि मुझे
तेरे बुत होने का
गुमां हुआ जाता है...
नहीं होगी अब
बुतपरस्ती मुझसे ,
इश्क में तेरे ,
अपना सर
पहले ही झुका रखा है मैंने...
मत कर मुझसे
इतनी मुहब्बत
कि मुझे
तेरा ,
मेरा ख़ुदा होने का
गुमां हुआ जाता है...
नहीं होगी अब
बंदगी मुझसे ,
मेरा ख़ुदा बन कर
तू
मुझसे ही दूर हुआ जाता है ..
( चित्र गूगल से साभार )
बंदगी की इन्तहा
ReplyDeleteअच्छा भाव !
ReplyDeleteनई पोस्ट चंदा मामा
नई पोस्ट विरोध
बहुत सुंदर रचना.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ..............
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