ये पर्वत,
सफ़ेद रुई जैसी बर्फ से घिरे
मुझे ऐसे लगे
जैसे ...
बूढी नानी की गोद
जिसमे बैठ कर ,
कहानी सुनते -सुनते सो जाएँ ...
जैसे...
माँ की गोद
जहाँ बैठ
सारी थकान भूल जाएँ ........
जैसे...
पिता का सा
मजबूत सहारा ,
जहाँ हर दुःख दूर हो जाये ...
जैसे ...
प्रियतम का साथ
जिसके आगोश में
हर गम भुला दें ...
बहुत ही सुंदर ,
ReplyDeleteपिता का सा मजबूत सहारा, जहाँ हर दुःख दूर होजाये ... आ० धन्यवाद
सुंदर भावपूर्ण पंक्तियाँ ...!
ReplyDelete================
RECENT POST -: हम पंछी थे एक डाल के.
बहुत उम्दा रचना |सुन्दर बिम्ब |
ReplyDeleteआशा
खूबसूरत अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteKisi ne un parbaton ko safed jata wala sadhu bataya tha jo sansar tyag chuka hai.. Aapne to use parivar ka sadasya bana daala.. Bahut pyari kavita..
ReplyDeleteरिश्तो का बन्धन और निरूपण
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