कुछ घंटे
कुछ प्रहर
कुछ दिन
और
दिनों से मिल कर
बने महीने
महीनों ने मिल कर
साल बनाया
कितने साल गुज़रे
कितने कलेण्डर बदले
ऐसे ही जीवन बीता जाता है
कलेण्डर बदलते हैं
तारीखें भी बदल जाती है
लेकिन जब कभी
समय के कलेंडर पर
कोई तारीख ठहर जाती है
वह 'तारीख़ ' बन जाती है
कुछ प्रहर
कुछ दिन
और
दिनों से मिल कर
बने महीने
महीनों ने मिल कर
साल बनाया
कितने साल गुज़रे
कितने कलेण्डर बदले
ऐसे ही जीवन बीता जाता है
कलेण्डर बदलते हैं
तारीखें भी बदल जाती है
लेकिन जब कभी
समय के कलेंडर पर
कोई तारीख ठहर जाती है
वह 'तारीख़ ' बन जाती है
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
ReplyDelete--
गये साल को है प्रणाम!
है नये साल का अभिनन्दन।।
लाया हूँ स्वागत करने को
थाली में कुछ अक्षत-चन्दन।।
है नये साल का अभिनन्दन।।...
--
नवल वर्ष 2014 की हार्दिक शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteआपकी इस प्रस्तुति का लिंक 02-01-2014 को चर्चा मंच पर दिया गया है
आभार
आ० बहुत सुंदर , नव वर्ष की शुभकामनाओं सहित
ReplyDeleteनया प्रकाशन -: जय हो विजय हो , नव वर्ष मंगलमय हो
खुबसूरत अभिवयक्ति.....
ReplyDeleteसुन्दर प्रभावपूर्ण अभिव्यक्ति .. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये :)
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..शुभकामनायें आपको भी ....
ReplyDeleteBahut sunder . Nav varsh ki mangal kamnayen.
ReplyDeleteअनुपम भावना बेहतरीन एहसास
ReplyDelete