माँ ने
अपनी नन्ही सी
बिटिया को
चिड़िया भी कहा
और
उड़ना भी नहीं सिखाया..
माँ ने
अपनी दुलारी सी
बिटिया को
खिड़की से झांकता
सीमित आसमान भी
दिखाया
उड़ने की चाह को
अनदेखा किया..
यह क्या माँ !
तुमने आसमान
दिखाया
उसमे चमकता चाँद भी
दिखाया
लेकिन अपनी चिड़िया के
पंख ही काट डाले...
अपनी नन्ही सी
बिटिया को
चिड़िया भी कहा
और
उड़ना भी नहीं सिखाया..
माँ ने
अपनी दुलारी सी
बिटिया को
खिड़की से झांकता
सीमित आसमान भी
दिखाया
उड़ने की चाह को
अनदेखा किया..
यह क्या माँ !
तुमने आसमान
दिखाया
उसमे चमकता चाँद भी
दिखाया
लेकिन अपनी चिड़िया के
पंख ही काट डाले...
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (08-01-2014) को "दिल का पैगाम " (चर्चा मंच:अंक 1486) पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDelete--
wah !!! dil ko chooti rachna.
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर .....
ReplyDeleteBEHATARIN SIIKH DETI RACHANA BADHAAI
ReplyDeleteलाज़वाब ....
ReplyDeleteबहुत सटीक रचना
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