Friday, 31 January 2014

आत्मा से बंधे रिश्ते


कुछ रिश्ते
जो तन के होते हैं
केवल
तन से ही जुड़े होते हैं
वे मन से कहाँ जुड़ पाते हैं

तभी तक  साथ होते हैं वे
जब तक जुडी हैं मांसपेशियां
अस्थियों से
या फिर
अस्थि-मज्ज़ा में रक्त बनता है
 तब तक ही शायद

यहाँ
हृदय धड़कता भी है तो
 केवल
रक्त प्रवाहित करने के लिए
 धड़कन से
जीवन चलता है
रक्त वाहिनियों को सजीवित करता हुआ

तन के रिश्ते

गँगा में बहा दिए जाते है
एक दिन अस्थियों के साथ ही
और आत्मा  आज़ाद हो जाती है
एक अनचाहे पिंजरे से
और  अनचाहे रिश्तों से भी


आत्मा से बंधे रिश्ते
 तन के बंधनो में नहीं बंधते ,
बन कर रिश्ते नहीं रिसते
पल-पल रक्त वाहिनियों में ही कभी ,
 निराकार आत्मा
बिन अस्थियों  ,
मांसपेशियों के ही जुड़ी रहती है,
विलीन हो जाती है
एक दूसरी आत्मा में
जहाँ पिंजरे की  नहीं होती जरूरत
ना ही अनचाहे रिश्तों की ही





14 comments:

  1. बहुत सुंदर ।

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  2. बहुत सुन्दर रचना है ....

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  3. sarthak shabdon se sazi khubsurat rachna....

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  4. सच में आत्मा के रिश्ते ही सच्चे रिश्ते हैं...बहुत सार्थक प्रस्तुति...

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  5. बहुत सुन्दर

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  6. बहुत खूब लिखा हैं उपासना जी आत्मिक रिश्तो और शरीर के रिश्तो में अंतर को लेकर।

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  7. बहुत खूब लिखा हैं उपासना जी आत्मिक रिश्तो और शरीर के रिश्तो में अंतर को लेकर।

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  8. सच में सभी रिश्ते आत्मा से जुड़े नहीं होते ....

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  9. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

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  10. आपकी इस प्रस्तुति को आज की कल्पना चावला की 11 वीं पुण्यतिथि पर विशेष बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।

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  11. बेहतरीन और उम्दा अभिव्यक्ति...
    रिश्ते आत्मा के बंधन से बढ़े होते है न की तन से..

    prathamprayaas.blogspot.in-

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