ईश्वर की सबसे
खूबसूरत कृति है
इंसान
ऐसा ही कहा जाता है
ना केवल खूबसूरत
बल्कि
प्रेम भी अधिक है उसे
इंसान से
यह भी माना जाता है या भ्रम मात्र ही है
प्रेम है या नहीं है
या
शायद उसे प्रेम ही है
इंसान से ,
तभी तो हृदय बनाया उसने ,
उसमें !
हृदय बना कर
ईश्वर ने
कभी न पूरी होने वाली
आशाएं -उम्मीदें जगाई
अपनों को अपना समझने का भरम भी जगाया
ये कैसा प्रेम है ईश्वर का
कभी लगता है
यह ईश्वर का
प्रेम है या श्राप !
कैसे उलझन में उलझाये रखता है
इंसान धरा पर यूँ ही
घूमता है शापित सा
ह्रदय में ईश्वर का प्रेम लिए
और चेहरे पर संताप .... !
खूबसूरत कृति है
इंसान
ऐसा ही कहा जाता है
ना केवल खूबसूरत
बल्कि
प्रेम भी अधिक है उसे
इंसान से
यह भी माना जाता है या भ्रम मात्र ही है
प्रेम है या नहीं है
या
शायद उसे प्रेम ही है
इंसान से ,
तभी तो हृदय बनाया उसने ,
उसमें !
हृदय बना कर
ईश्वर ने
कभी न पूरी होने वाली
आशाएं -उम्मीदें जगाई
अपनों को अपना समझने का भरम भी जगाया
ये कैसा प्रेम है ईश्वर का
कभी लगता है
यह ईश्वर का
प्रेम है या श्राप !
कैसे उलझन में उलझाये रखता है
इंसान धरा पर यूँ ही
घूमता है शापित सा
ह्रदय में ईश्वर का प्रेम लिए
और चेहरे पर संताप .... !
उम्दा
ReplyDeleteमन का उलझन प्रगट करती पोस्ट !
ReplyDeleteनई पोस्ट मेरी प्रियतमा आ !
नई पोस्ट मौसम (शीत काल )
सुन्दर रचना
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